धर्म-कर्म

जब अपना ऐश्वर्य दिखाने श्री कृष्ण गोपियों के सामने भगवान विष्णु रूप में आए

एक बार भगवान कृष्ण (Lord Krishna) के मन में आया कि आज गोपियों को अपना ऐश्वर्य दिखाना चाहिये। ये सोचकर जब भगवान निकुंज में बैठे थे, और गोपियाँ उनसे मिलने आ रही थी। तब भगवान कृष्ण विष्णु (Lord Vishnu) के रूप चार भुजाएँ प्रकट कर के बैठ गए। जिनके चारो हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म था।

एक बार भगवान कृष्ण (Lord Krishna) के मन में आया कि आज गोपियों को अपना ऐश्वर्य दिखाना चाहिये। ये सोचकर जब भगवान निकुंज में बैठे थे, और गोपियाँ उनसे मिलने आ रही थी। तब भगवान कृष्ण विष्णु (Lord Vishnu) के रूप चार भुजाएँ प्रकट कर के बैठ गए। जिनके चारो हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म था।

गोपियाँ भगवान को ढूँढती हुई एक निकुंज से दूसरे निकुंज में जा रही थी। तभी उस निकुंज में आयी जहाँ भगवान बैठे हुए थे। दूर से गोपियों ने भगवान को देखा और बोली हम कब से ढूँढ रही है और कृष्ण यहाँ बैठे हुए है। वे जब धीरे-धीरे पास आई तो और ध्यान से देखा तो कहने लगी अरे ! ये हमारे कृष्ण नहीं है। इनकी सूरत तो कृष्ण की ही तरह है, परन्तु इनकी तो चार भुजाएँ है, ये तो वैकुंठ वासी भगवान विष्णु है। सभी गोपियों ने दूर से ही प्रणाम किया और आगे बढ़ गई। बोली-चलो, सखियों कृष्ण तो इस कुंज में भी नहीं है, कहीं दूसरी जगह देखते है। ये प्रेम है जहाँ साक्षात् भगवान विष्णु भी बैठे है तो ये जानकर के ये तो विष्णु है कृष्ण नहीं गोपियाँ पास भी नहीं गई।

भगवान कृष्ण ने सोचा गोपियों ने तो कुछ कहा ही नहीं। अब राधा रानी जी के पास जाना चाहिये। ये सोचकर भगवान कृष्ण वैसे ही विष्णु के रूप में उस निकुंज में जाने लगे, जहाँ राधा रानी बैठी हुई थी।

दूर से ही भगवान कृष्ण ने देखा कि राधा रानी जी अकेले बैठी हुई है। तो सोचने लगे राधा को अपना ये ऐश्वर्य दिखाता हूँ और धीरे-धीरे उस ओर जाने लगे। लेकिन, ये क्या जैसे जैसे कृष्ण राधा रानी जी के पास जा रहे है, वैसे वैसे उनकी एक के करके चारों भुजाएं गायब होने लगी और विष्णु के स्वरुप से कृष्ण रूप में आ गए। जबकि भगवान ने ऐशवर्य को जाने के लिए कहा ही नहीं वह तो स्वतः ही चला गया और जब राधा रानी जी के पास पहुँचे तो पूरी तरह कृष्ण रूप में आ गए। अर्थात वृंदावन में यदि कृष्ण चाहे भी तो अपना ऐश्वर्य नहीं दिखा सकते, क्योंकि उनके ऐश्वर्य रूप को वहाँ कोई नहीं पूछता। यहाँ तक की राधा रानी के सामने तो ठहरता ही नहीं। राधा रानी जी के सामने तो ऐश्वर्य बिना कृष्ण की अनुमति के ही चला जाता है।