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Apara Ekadashi 2023: आज है अपरा एकादशी, मिलता है अपार पुण्यफल, जानें व्रत कथा

Apara Ekadashi 2023: आज सोमवार 15 मई को अपरा एकादशी है। इस एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने से अपार पुण्यफल की प्राप्ति होती है, इसलिए इसे अपरा एकादशी कहा जाता है।

Apara Ekadashi 2023: आज सोमवार 15 मई को अपरा एकादशी (Apra Ekadashi) है। इस एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने से अपार पुण्यफल की प्राप्ति होती है, इसलिए इसे अपरा एकादशी कहा जाता है। इस दिन खरबूजा या ककड़ी का नैवेद्य भगवान विष्णु को लगाकर उसी को फलाहार के रूप में ग्रहण किया जाता है।

अपरा एकादशी का व्रत जो मनुष्य रखता है, उसके अनजाने में किए गए समस्त पापों का क्षय हो जाता है। यह एकादशी भाग्योदय करके अपार धन-संपत्ति प्रदान करती है। व्रत करने, इसकी कथा सुनने या पढ़ने से मनुष्य को समस्त भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि
अपरा एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन निराहार रहें। भगवान विष्णु की पूजा में तुलसीदल, पुष्प, चंदन, धूप-दीप का प्रयोग करें। मखाने की खीर बनाएं और भोग के रूप में विष्णु भगवान को अर्पित करें। पूजा के बाद खीर का प्रसाद बांट दें और अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करें।

व्रत कथा
प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा राज करता था। राजा का छोटा भाई वज्रध्वज उससे द्वेष रखता था। एक दिन मौका पाकर उसने महीध्वज की हत्या कर दी और एक पीपल के पेड़ के नीचे शव को गाड़ दिया। अकाल मृत्यु होने के कारण राजा की आत्मा प्रेत बनकर पीपल के पेड़ पर रहने लगी। वह आत्मा उस मार्ग से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति को परेशान करती थी।

एक दिन एक ऋषि उस रास्ते से गुजर रहे थे। प्रेत आत्मा उन्हें भी परेशान करने के उद्देश्य से पेड़ से नीचे उतरकर आई। ऋषि ने अपने तपोबल से उसके प्रेत बनने का कारण जान लिया। ऋषि ने प्रेतात्मा को प्रेत योनी से मुक्ति दिलाने के लिए स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा। द्वादशी के दिन व्रत पूरा होने पर व्रत का पुण्य प्रेत को दे दिया। एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त करके राजा प्रेतयोनी से मुक्त हो गया और स्वर्ग चला गया।

इस व्रत के संबंध में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर को बताया है कि ये व्रत बड़े-बड़े पापों का भी नाश करने वाला है। जो भी व्यक्ति इस व्रत को करता है, उसे अपार धन प्राप्त होता है और उसे संसार में यश मिलता है।

एकादशी तिथि का समय
एकादशी तिथि प्रारंभ 15 मई रात्रि 2:46 बजे
एकादशी तिथि पूर्ण 16 मई रात्रि 1:03 बजे
व्रत का पारण 16 मई को प्रात: 6:41 से 8:

व्रत के लाभ
जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है। जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।

एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है।

धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है

कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है और परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है।

पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ। भगवान शिवजी ने नारद से कहा है-एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है।