Devshayani Ekadashi 2023: इस साल देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) में बेहद ख़ास संयोग बन रहा है। इस दिन एक या दो नहीं, पूरे चार शुभ योग रहने वाले हैं। जानिए, इस साल देवशयनी एकादशी का व्रत कब रखा जायेगा और इस दिन कौन से विशेष योग बन रहे हैं?
इस बार देवशयनी एकादशी का व्रत 29 जून को रखा जाएगा। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 29 जून की सुबह 3 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी और 30 जून को 02 बजकर 42 मिनट पर समापन होगा। ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से एकादशी का व्रत 29 जून को रखा जाएगा। व्रत का पारण 30 जून को होगा। पारण का शुभ समय दोपहर 01 बजकर 48 मिनट से लेकर शाम 04 बजकर 36 मिनट तक है।
इस दिन बन रहे विशेष योग से भक्तों को व्रत और पूजा का विशेष फल प्राप्त होगा। देवशयनी एकादशी के दिन सिद्ध योग, रवि योग, बुधादित्य योग और गुरुवार का ख़ास संयोग बन रहा है। इस दिन जो जातक सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करेगा, उसे निराशा हाथ नहीं लगेगी।
रवि योग: सुबह 05 बजकर 26 मिनट से शाम 04 बजकर 30 मिनट तक
सिद्ध योग: 29 जून 2023 को सुबह 05 बजकर 16 मिनट से 30 जून 2023 को सुबह 03 बजकर 44 मिनट तक
बुधादित्य योग: 24 जून को बुध देव राशि परिवर्तन कर मिथुन राशि में पहुँच जायेंगे और मिथुन राशि में पहले से ही मौजूद सूर्य देव के साथ युति करके बुधादित्य राजयोग का निर्माण करेंगे।
गुरुवार: गुरुवार और एकादशी के दिन दोनों ही भगवान विष्णु को समर्पित माने जाते हैं। एकादशी का गुरुवार के दिन होना काफी शुभ माना जाता है।
देवशयनी एकादशी के दिन से ही जगत के पालनहार भगवान विष्णु का निद्राकाल शुरू हो जाता है, यानी इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत होती है। देवशयनी एकादशी से चार माह तक भगवान विष्णु देवोत्थानी एकादशी तक के लिए योग निद्रा में चले जाएंगे। फिर वे देवउठनी एकादशी को योग निद्रा से बाहर आएंगे, तब चातुर्मास का समापन होगा। देवउठनी एकादशी 23 नवंबर को है। इस तरह से चातुर्मास 30 जून से लगेगा और 23 नवंबर को खत्म हो जाएगा। इस बार श्रावण पुरुषोत्तम मास होने की वजह से दो माह तक है, इसलिए चातुर्मास की अवधि पांच माह होग। इस दौरान सभी मांगलिक कार्य बंद रहेंगे। हिंदू धर्म में चातुर्मास का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। चातुर्मास की शुरुआत आषाढ़ माह से शुरू होती है और कार्तिक की एकादशी के दिन खत्म होते हैं।
कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को जब भगवान विष्णु योग निद्रा से उठते हैं तब फिर से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवशयनी एकादशी से देवोत्थान एकादशी तक भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग पर विश्राम करते हैं। इन चार महीनों में सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। मान्यता है कि भगवान विष्णु के शयनकाल में मांगलिक कार्य करने से व्यक्ति को उनका आशीर्वाद नहीं प्राप्त होता है, जिस वजह से विघ्न उत्पन्न होने का खतरा बना रहता है। हर साल चातुर्मास सामान्य रूप से 4 महीने का होता है, लेकिन इस साल अधिक मास होने के कारण चातुर्मास 5 महीने का होगा।
हर साल चातुर्मास सामान्य रूप से चार महीने का होता है, लेकिन इस साल अधिक मास होने के कारण चातुर्मास 5 महीने का होगा।
पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का शुभारंभ 29 जून 2023 सुबह 03:18 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 30 जून सुबह 02:42 मिनट पर हो जाएगा। पूजा तिथि के अनुसार, देवशयनी एकादशी व्रत गुरुवार 29 जून 2023 को रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर रवि योग का निर्माण हो रहा है, जो सुबह 05:26 मिनट से दोपहर 04:30 मिनट तक रहेगा।
चातुर्मास 148 दिनों का, महादेव देखेंगे सृष्टि का काम
इस साल 29 जून को देवशयनी एकादशी और 23 नवंबर को देव उठनी एकादशी रहेगी, इसलिए चातुर्मास 148 दिनों का रहेगा। इन दिनों में भगवान विष्णु योग निद्रा में रहेंगे। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस अवधि में सृष्टि को संभालने और कामकाज संचालन का जिम्मा भगवान भोलेनाथ के पास रहेगा। इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान किए जा सकेंगे पर नहीं होंगे मांगलिक काम।
चतुर्मास में नहीं होते मांगलिक कार्य
भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनहार कहा जाता है। श्रीहरि के विश्राम अवस्था में चले जाने के बाद मांगलिक कार्य जैसे- विवाह, मुंडन, जनेऊ आदि करना शुभ नहीं माना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान मांगलिक कार्य करने से भगवान का आशीर्वाद नहीं प्राप्त होता है। शुभ कार्यों में देवी-देवताओं का आवाह्न किया जाता है। भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं, इसलिए वह मांगलिक कार्यों में उपस्थित नहीं हो पाते हैं। जिसके कारण इन महीनों में मांगलिक कार्यों पर रोक होती है।
पाताल में रहते हैं भगवान विष्णु
ग्रंथों के अनुसार पाताल लोक के अधिपति राजा बलि ने भगवान विष्णु से पाताल स्थिति अपने महल में रहने का वरदान मांगा था, इसलिए माना जाता है कि देवशयनी एकादशी से अगले चार महीने तक भगवान विष्णु पाताल में राजा बलि के महल में निवास करते हैं। इसके अलावा अन्य मान्यताओं के अनुसार शिवजी महाशिवरात्रि तक और ब्रह्मा जी शिवरात्रि से देवशयनी एकादशी तक पाताल में निवास करते हैं।