तमिलनाडु के पिल्लैयारपट्टी में स्थित करपगा विनयगर मंदिर (Karpaga Vinayagar Temple) तमिलनाडु (Tamilnadu) के सबसे पुराने मंदिर में से एक है, जिसे लगभग 1200 साल पुराना माना जाता है। इस मंदिर को भगवान गणेश (Lord Ganesha) के साथ अन्य देवताओं की छवियों के साथ एक गुफा में एक पत्थर से उकेरा गया है। यहां भगवान गणेश की छह फीट ऊँची पत्थर की नक्काशीदार मूर्ति है, जो गहनों और अन्य आभूषण से सजी हुई है। यह तमिलनाडु का एक बहुत लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। यहां देश भर से लोग विघ्नहर्ता के दर्शन के लिए आते है।
यह मंदिर आस्था केंद्र होने के साथ-साथ अपनी अनूठी वास्तुकला और जटिल शिल्पकला के लिए भी जाना जाता है, जो इसके आकर्षण में चार चाँद लगाने का कार्य करती है। यहां पाए गए शिलालेखों के अनुसार यह मंदिर 1091 और 1238 ई. के बीच बनाया गया था।
इसका निर्माण पांड्या राजाओं द्वारा पिल्लरेपट्टी पहाड़ी पर कराया गया है। मंदिर में अन्य तीर्थस्थान भगवान शिव, देवी कात्यायनी, नागलिंगम और पसुपथिस्वरार को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि देवी कात्यायनी की प्रार्थना करने से कुंवारी लड़कियों का विवाह जल्दी हो जाता है और भगवान नागलिंगम की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है। वहीं धन प्राप्ति और सुख-समृद्धि के लिए पसुपथिस्वरार की पूजा की जाती है।
आमतौर पर गणेशजी के हर स्वरूप में चार भुजाएं होती हैं किंतु इस मंदिर में स्थापित मूर्ति में गणेशजी की सिर्फ दो ही भुजाएं हैं। मुख्य प्रतिमा सोने से मढ़ी हुई है।
यहां गणेशजी की सूंड दाईं ओर है जिसकी वजह से उन्हें वैलपूरी पिल्लईर भी कहा जाता है। यहां पर सभी देवताओं की मूर्तियों का मुख उत्तरी दिशा की ओर है। गणेशजी का उत्तर की ओर मुख करना और दाईं तरफ सूंड का होना काफी शुभ माना जाता है। यह समृद्धि, धन और ज्ञान का कारक होता है।