धर्म-कर्म

भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु का राज जुड़ा है प्रभु श्री राम से

महर्षि वेद व्यास रचित महाभारत के मौसल पर्व में भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु और उनकी द्वारका नगरी के समुद्र में समा जाने का विवरण दिया गया है।

महर्षि वेद व्यास रचित महाभारत (Mahabharat) के मौसल पर्व में भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) की मृत्यु और उनकी द्वारका नगरी के समुद्र में समा जाने का विवरण दिया गया है।

श्रीकृष्ण (Lord Krishna) की आठ पत्नियों में से जाम्बवती के पुत्र का नाम सांब था। देवर्षि नारद, दुर्वशा और विश्वामित्र जैसे कई ऋषि-मुनि भगवान श्रीकृष्ण से मिलने के लिए द्वारका नगरी पहुंचे थे। सांब ने शरारतवश एक स्त्री का वेश धारण कर लिया और उन ऋषि-मुनियों से पूछा कि उसके गर्भ में बेटा है या बेटी?

एक ऋषि उसकी शरारत को समझ गए और गुस्से में सांब को शाप दिया कि वह एक लोहे की तीर को जन्म देगा, जिस कारण उसके कुल का सर्वनाश हो जाएगा। शाप से मुक्ति के लिए उसने प्रभास नदी में तांबे के तीर का चूर्ण बनाकर प्रवाहित कर दिया। उस चूर्ण को एक मछली ने निगल लिया। कुछ समय पश्चात द्वारका में नशीली चीजों का सेवन बढ़ गया। छल-कपट, विश्वासघात जैसी चीजें वहां के लोगों में आ गई थीं। लोगों के गलत आचरण और कार्यों से पाप बढ़ गया था।

पाप से मुक्ति के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी प्रजा से प्रभास नदी के किनारे व्रत, स्नान आदि का सुझाव दिया। उनकी सारी प्रजा वहां चली गई। लेकिन वहां पर आपस में ही उनकी लड़ाई हो गई, जिसमें अंत में श्रीकृष्ण और उनकी प्रजा के कुछ लोग बच गए। श्रीकृष्ण के आदेश पर बाकी प्रजा हस्तिनापुर चली गई।

इस बीच भगवान श्रीकृष्ण वन में ध्यान मुद्रा में थे। इसी बीच वहां एक बहेलिया आया। उसने श्रीकृष्ण को हिरण समझ कर तीर चला दिया, जो उनके पैरे के तालू में जा लगा। इसके बाद शिकारी श्रीकृष्ण के पास पहुंचा और अपनी गलती के लिए उनसे क्षमा मांगने लगा। तब श्रीकृष्ण ने उसे सांत्वना दी और बताया कि कैसे उनकी मृत्यु निश्चित थी। श्रीकृष्ण ने कहा-त्रेता युग में लोग मुझे राम के नाम से जानते थे। राम ने सुग्रीव के बड़े भाई बाली का छिपकर वध किया था। अपने पिछले जन्म की सजा उन्हें इस जन्म में मिली है। दरअसल जरा ही पिछले जन्म में बाली था। यह कहकर श्रीकृष्ण ने अपना शरीर त्याग दिया और वैकुंठ चले गए।

उधर, जिस मछली ने तांबे के तीर का चूर्ण निगला था, उसके पेट में एक छोटा सा धातु बन गया था। उस मछ​ली का शिकार बहेलिया ने किया और मछली के पेट से वह धातु मिला था, जिससे उसने तीर बनाया। उस तीर से ही श्रीकृष्ण के इस अवतार का अंत हो जाता है। उधर द्वारका नगरी समुद्र में डूब गई। श्रीकृष्ण की मृत्यु को ही कलियुग की शुरुआत माना जाता है।