धर्म-कर्म

48 दिनों तक करें हनुमानजी की पूंछ की पूजा, ग्रहों के दुष्प्रभाव होंगे दूर!

राम भक्त हनुमानजी (Hanumanji) की पूंछ में चमत्कारिक असर माना गया है। यही कारण है कि ग्रहों के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए भी उनकी पूंछ की पूजा की जाती है। हनुमान जी को देवी-देवताओं ने कई तरह की शक्तियों का वरदान दिया है। अष्टसिद्धि और नवनिधि के दाता की पूंछ में भी कम ताकत नहीं होती।

राम भक्त हनुमानजी (Hanumanji) की पूंछ में चमत्कारिक असर माना गया है। यही कारण है कि ग्रहों के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए भी उनकी पूंछ की पूजा की जाती है। हनुमान जी को देवी-देवताओं ने कई तरह की शक्तियों का वरदान दिया है। अष्टसिद्धि और नवनिधि के दाता की पूंछ में भी कम ताकत नहीं होती।

एक दंतकथा के अनुसार बजरंगबली (Bajrangbali) की पूंछ में पार्वती जी का वास माना गया है, क्योंकि हनुमान जी शंकर जी के अवतार हैं, इसलिए पूंछ में पार्वती जी विराजमान हैं। हनुमान जी की पूंछ की पूजा करने से देवी पार्वती का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि मनुष्य शनि की साढ़े-साती या किसी अन्य ग्रह के कष्ट झेल रहा तो उसे हनुमानजी की पूंछ की पूजा जरूर करनी चाहिए।

महाबली हनुमान के पूंछ की पूजा से शनि की साढ़े साती या महादशा के साथ राहु और केतु से मिलने वाले घनघोर संकटों से भी मुक्ति मिलती है। इसके लिए हनुमान जी की पूंछ की पूजा 48 दिन तक रोज करनी होती है। यह पूजा बहुत ही महत्वपूर्ण और चमत्कारिक असर दिखाती है। तो जानें की हनुमान जी की पूंछ की पूजो कैसे की जाती है?

पूजा का सिंदूर बनाने की विधि
हनुमान जी की पूंछ की पूजा सिंदूर से की जाती है। इसके लिए चमेली के तेल में चंदन और सिंदूर मिला कर एक लेप तैयार कर लें। यदि चंदन न हो तो आप केवल तेल और सिंदूर का लेप बना लें। इसी लेप को हनुमान जी की पूंछ पर मलना होता है।

48 दिनों तक इस तरह करें पूंछ की पूजा
यह पूजा मंगलवार या शनिवार के दिन से ही प्रारंभ करें। सुबह स्नान के बाद हनुमानजी की ऐसी तस्वीर या प्रतिमा की पूजा करें जिसमें उनकी लंबी पूंछ हो। अब उनकी पूंछ को पहले धूप-दीप-अगरबत्ती आदि दिखा दें। अब सिंदूर के लेप को दाहिने हाथ की मध्यमा उंगली से पूंछ पर इसे लगाएं। इसे लगातार 48 दिन तक करें। अब सफेद मक्खन ले और हनुमान जी के सीने पर इसे मलें। संभव हो तो ऐसी तस्वीर का चयन करें जिसमें उनके सीने में भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी भी विराजमान हों। याद रखें ये पूजा केवल मंगलवार या शनिवार की अमावस्या तिथि या मूल नक्षत्र दिवस से ही शुरू करें और लगातार करें।

चूंकि महिलाएं हनुमानजी का स्पर्श नहीं कर सकतीं, इसलिए किसी पुरुष की मदद से यह पूजा करें। जब पूंछ पर लेप हो जाए तो कपूर की आरती करें और चमेली के तेल का ही दीप जलाएं। अब अपने हाथ जोड़ कर हनुमान जी के समक्ष अपनी समस्या रखें और उससे मुक्ति के लिए प्रार्थना करें। पूजा के बाद वहीं बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे आपको दोगुना फायदा होगा।

हमेशा सिंदूर चढ़ाएं
हनुमान जी को हमेशा सिंदूर चढ़ाएं। कई बार लोग कुमकुम का प्रयोग करते हैं, लेकिन यह सही नहीं होता। हनुमान जी की पूजा में नारंगी सिंदूर ही चढ़ाया जाना चाहिए। इसे भाखड़ा सिंदूर भी कहा जाता है। यह सिंदूर कभी सूखा न चढ़ाएं बल्कि चमेली के तेल या घी के साथ मिला कर ही अर्पित करें।

(laatsaab.com में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और लोक आस्थाओं पर आधारित है, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसे लोगों की सामान्य रुचि को ध्यान में रखते हुए यहां प्रस्तुत किया गया है।)