धर्म-कर्म

मां लक्ष्मी के रूप त्रिपुर सुंदरी के दर्शन मात्र से सारी विपदा होती है दूर

मां लक्ष्मी के रूप में मां त्रिपुर सुंदरी यहां विराजती हैं, यहां है एकमात्र शक्तिपीठ जहां होती है गुप्त साधना

मध्यप्रदेश के रतलाम जिले से 65 किलोमीटर दूर राजस्थान के बांसवाड़ा में मां त्रिपुर सुंदरी (Maa Tripura Sundari) का दिव्य मंदिर है। यहां 18 भुजाओं वाली देवी की प्रतिमा के दर्शन मात्र से भक्त निहाल हो जाते हैं और उनकी सारी विपदा दूर हो जाती है।

यहां मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) के रूप में मां त्रिपुर सुंदरी विराजती (Maa Tripura Sundari) हैं, जिनमें त्रिदेव की शक्तियां समाई हुईं हैं। राजस्थान के दक्षिण में अरावली पर्वत श्रृंखला पर मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर स्थापित है। कहते हैं कि त्रिपुरा सुंदरी का यह अकेला शक्ति पीठ है जहां गुप्त साधना की जाती है। और यहां प्रतिदिन श्री यंत्र की सहायता से सिद्धि साधना की जाती है।

सम्राट कनिष्क काल का है मंदिर
विक्रम संवत 1540 के आसपास का आलेख प्राप्त हुआ है। जिसमें बताया गया है कि सम्राट कनिष्क के काल के पूर्व यह मंदिर स्थापित है। उस दौर में यहां आस पास गढ़पौली नाम का नगर था।जिसके तीनों तरफ शिवपुरी, सीतापुरी और विष्णुपुरी नाम के दुर्ग थे। इन तीनों दुर्गों के मध्य यह मंदिर स्थित था जिसे त्रिपुर सुंदरी मंदिर कहा गया।

मां एक पर रूप अनेक
त्रिपुर सुंदर के मंदिर का जीर्णोदद्धार पांचाल समाज के 14 चौखरों ने करवाया था। मां त्रिपुर सुंदरी को महाकाली, महादुर्गा, महालक्ष्मी और महासरस्वती का रूप भी माना गया है। मां का वाहन सिंह है और उनकी 18 भुजाओं में अस्त्र शस्त्र और मूर्ति के चारों तरफ नवग्रह, नवदुर्गा के रूप में विद्यमान हैं।

मां के चरणों में सिद्ध युक्त श्रीयंत्र स्थापित
मां त्रिपुर सुंदरी के चरणों में सिद्ध युक्त श्रीयंत्र स्थापित है। यहां शंकराचार्य पद्धति के अनुसार आराधना होती है यहां श्रीयंत्र की पूर्ण साधना भी की जाती है। शक्ति पीठ होने के कारण मां त्रिपुरा सुंदरी को मां सती का रूप भी माना जाता है। जो भक्त मां के दर पर आता है उसकी झोली मां खुशियों से भर देतीं हैं। मां के इस रहस्य के बारे में उपनिषदों और पुराणों में विशेष उल्लेख मिलता है।

तीन प्रहर में तीन रूप
मां त्रिपुरा सुंदरी के इस शक्ति पीठ में तीन प्रहर ने मां के तीनों रूपों की आराधना होती है। प्रातः काल में कुमारिका दोपहर में यौवन रूप सुंदरी और सायंकाल में काल में प्रौढ़ रूप की पूजा की जाती है।

गृहस्थ मां त्रिपुरा सुंदरी के सगुण रूप और साधु सन्यासी निर्गुण रूप को पूजते हैं। कहते हैं यहां से सिद्धि प्राप्त करने के पश्चात शत्रु हो या मित्र सभी को वश में किया जा सकता है।

मां की पूजा से रोग-विकार दूर हो जाते हैं। इसलिए यहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते हैं और मां त्रिपुरा सुंदरी भक्तों की प्रार्थना को स्वीकार करती है।