महाशिवरात्रि भगवान शिव शंकर का दिन है। जहां सौंदर्य, सत्य और परोपकार है, वहां शिव हैं और, ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां शिव सिद्धांत अनुपस्थित हो। लेकिन, शिव कोई व्यक्ति नहीं हैं। यह वह सिद्धांत है जो संपूर्ण सृष्टि का सुमधुर बन्ध है और पूरे ब्रह्मांड को व्याप्त करता है। शिव तत्त्व नाम का यह सिद्धांत जीवन की सर्वोत्कृष्टता है और हर जीव के भीतर गहरे तक मौजूद है।
महाशिवरात्रि इस बार 11 मार्च, वीरवार का मनाया जाएगा। इस दिन हम अपने भीतर झांककर, शिव ऊर्जा में ध्यान करते हुए और आनन्दित होकर शिव तत्त्व का उत्सव मनाते हैं। पहले से अधिक महाशिवरात्रि 2021 एक ऐसा दिन और रात होगा जिसका श्रद्धालु बेसब्री से इंतजार करते हैं क्योंकि इस विशिष्ट समय में मौजूद विशेष ऊर्जा में आत्मा पनपती है। एक वर्ष में कुछ दिन और समय सीमा होती है जब किसी के मानसिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक संकायों को बढ़ाया जाता है और महाशिवरात्रि एक पवित्र और बेशकीमती दिन होता है।
महाशिवरात्रि पर दुर्लभ योग
देवाधिदेव भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि पर्व इस बार महासंयोग लेकर आ रहा है। यह संयोग भक्तों के लिए विशेष फलदायी होने जा रहा है। इस दिन दोपहर 2.39 बजे त्रयोदशी और चतुर्दशी का मेल होगा और यही समय शिवरात्रि का श्रेष्ठ पुण्यकाल होगा। त्रयोदशी की उदया तिथि में शिवयोग तो प्रदोष व रात्रि में सिद्ध योग का दुर्लभ संयोग होगा।
पूजा-अर्चना और दान का महत्व
महाशिवरात्रि को कालरात्रि भी कहा जाता है। सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि में भगवान शिव का ब्रह्मा से रुद्र रूप में अवतरण हुआ। प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं, इसीलिए इसे कालरात्रि कहा गया। महाशिवरात्रि को वर्षभर में पड़ने वाली सिद्ध रात्रियों में से एक माना गया है। इस दिन ब्रह्मांड में दिव्य ऊर्जाएं चरम पर होती हैं। इसलिए शिवरात्रि को की गई पूजा-अर्चना, जप दान आदि का फल कई गुना होता है।
इन चीजों का है विशेष महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार 27 योग में से प्रतिदिन एक योग उपस्थित होता है। इन 27 योग में एक शिव योग भी है जिसे परमकल्याणकारी और भगवान शिव की पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इस बार महाशिवरात्रि के दिन शिव योग है जो दुर्लभ शुभ संयोग है। जलाभिषेक के अलावा शिव उपासना में बेलपत्र का विशेष महत्व है। तीन दलों से युक्त एक बिल्वपत्र जो भगवान शिव को अर्पित करते हैं तो यह हमारे तीन जन्मों के पापों का नाश करता है। दूध, चमेली, बेला और श्वेतार्क के पुष्प तथा श्वेत चंदन भगवान शिव को अर्पित करें। स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें। मानसिक एकाग्रता के लिए दूध से एवं सर्वसिद्धि के लिए गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें।
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं मान्यताओं पर आधारित हैं। लाटसाब इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
Comment here
You must be logged in to post a comment.