धर्म-कर्म

सावन में काशी में शिवगुरु बृहस्पति के दर्शन से मिलता है विशेष फल

पूरी दुनिया में मान्यता है कि काशी में 33 कोटि देवी-देवता के अलावा देवताओं के गुरु बृहस्पति विराजते है। मोक्ष नगरी काशी में इस गुरु बृहस्पति मंदिर की पौराणिक मान्यता है। अनादि काल से इस जीवंत मंदिर में स्वतः देव गुरु विराजते हैं। दरसअल सावन के इस पवित्र महीने में देव गुरु बृहस्पति (Guru Brihaspati) का सावन (Sawan) के पहले गुरुवार को हरियाली श्रृंगार (Hariyali Shringar) किया जाता है।

पूरी दुनिया में मान्यता है कि काशी (Kashi) में 33 कोटि देवी-देवता के अलावा देवताओं के गुरु बृहस्पति विराजते है। मोक्ष नगरी काशी में इस गुरु बृहस्पति मंदिर की पौराणिक मान्यता है। अनादि काल से इस जीवंत मंदिर में स्वतः देव गुरु विराजते हैं। दरसअल सावन के इस पवित्र महीने में देव गुरु बृहस्पति (Guru Brihaspati) का सावन (Sawan) के पहले गुरुवार को हरियाली श्रृंगार (Hariyali Shringar) किया जाता है।

अति प्राचीन मंदिर
अति प्राचीन इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जब बाबा भोले ने काशी को अपनी राजधानी बनाईं तो देव लोक से देवता भी मोक्ष नगरी काशी में आकर वास करने के लिए लालायित हो उठे। सभी ने बाबा भोले से विराजमान होने की अनुमति मांग आये और यही के होकर रह गए। लेकिन जब देवताओं के गुरु बृहस्पति ने काशी पहुँच बाबा विश्वनाथ से काशी वास की इच्छा जाहिर की तो शिव ने उन्हें गुरु सम्मान देते अपने परिसर के करीब ऊँचाई वाले टीले पर उन्हें सर्वोच्च स्थान इस लिए दिया कि उनके दर्शन प्रतिदिन खुद विश्वनाथ और यहां आये देवता, ग्रह, नक्षत्र उनका दर्शन कर सके।

सावन में बृहस्पतिवार को उमड़ता है कावड़ियों का हुजूम
सावन के महीने में इस अति प्राचीन बृहस्पति मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। यही नहीं कावरिएं भी सावन के बृहस्पति वार को यहां दर्शन कर अपनी सावन यात्रा को पूर्ण मानते हैं। इसके अलावा यहाँ नित्य हजारों भक्त आते हैं। इस मंदिर की धार्मिक मान्यता है कि देव गुरू बृहस्पति नौग्रहों में सर्वश्रेष्ठ ग्रह हैं और ये धन, मंगल, बुद्धि के देवता है। इसी कारण इनके श्रंगार से लेकर भोग तक सब कुछ पीले रंग का ही इस्तेमाल किया जाता है।

हल्दी, पीला चंदन व पीला वस्त्र-पीला प्रसाद चढ़ाते हैं
यहां आने वाले श्रद्धालु विश्वनाथ के गुरु को पीला वस्त्र, पीला प्रसाद चढ़ाते हैं। भक्त यहां देव गुरू की पूजा करते हैं और मंगल कार्य सिद्ध होने के लिए हाथों में पीली हल्दी, पीला चन्दन लगाते हैं। यहां के पुजारी ने बताया कि इसकी आराधना में सब पीला ही होना चाहिए और जो श्रद्धालु पूरी आस्था से गुरू बृहस्पति के दरबार में सच्चे मान से जो भी मनोकामना मांगता हैं, वो जरुर पूरी होती है।

सावन में बृहस्पतिवार को दर्शन से मिलता है पूरे सावन का फल
इस मंदिर में दैनिक पूजन करने आने वाले भक्तों ने बताया कि इस प्राचीन मंदिर में प्रतिदिन चार प्रहर चार दिव्य आरती के अलावा श्रंगार होते हैं। यह स्वयम्भू शालीग्राम मूर्ति है जो देवों के आराध्य देव बृहस्पति देव हैं। मान्यता है कि यहां ब्रृहस्पति भगवान साक्षात् विराजते हैं। ऐसे में आज मन्दिर आने वाली अभिलाषा ने बताया कि सावन माह में आज बृहस्पतिवार को हरियाली श्रृंगार हर साल होता है।

पुराणों में मान्यता है कि जो भी भक्त किन्हीं कारणों से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में नहीं जा पाता है वो सावन के पहले बृहस्पतिवार को यहां दर्शन कर पूरे एक महीने काशी विश्वनाथ के दर्शन का फल पाता है।