सूर्य पुत्र शनिदेव (Shanidev) को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं कि वह गुस्सैल, भावहीन और निर्दयी हैं। लेकिन इसमें सच्चाई नहीं है। शनिदेव न्याय के देवता हैं। इसी कारण देवाधिदेव शिव ने शनि महाराज को नवग्रहों में न्यायाधीश का काम सौंपा है। उनकी कृपा जिस पर होगी, उसे जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी, लेकिन जिस शनि के प्रकोप से दुनिया डरती है वह भी अपनी पत्नी और इन देवताओं से डरते हैं।
शनि महाराज भगवान सूर्य और उनकी दूसरी पत्नी छाया के पुत्र हैं। सूर्य ने अपने ही पुत्र शनि को शाप देकर उनके घर को जला दिया था। इसके बाद शनि ने तिल से सूर्य से पूजा की जिससे सूर्य प्रसन्न हुए। इस घटना के बाद से तिल से शनि और सूर्य की पूजा की परंपरा शुरू हुई।
भगवान शिव
देवाधिदेव शिव शनि महाराज के गुरु हैं। भगवान शिव ने शनि महाराज से कहा कि मेरे भक्तों पर तुम अपनी वक्र दृष्टि नहीं डालोगे। इसलिए शिव भक्त शनि के कोप से मुक्त रहते हैं।
हनुमान जी
शनि देव को जिनसे डर लगता है, उनमें पहला नाम तो हनुमान जी का है। कहते हैं हनुमानजी के दर्शन और उनकी भक्ति करने से शनि के सभी दोष समाप्त हो जाते हैं और हनुमान जी के भक्तों को शनिदेव परेशान नहीं करते।
श्रीकृष्ण के भक्तों को परेशान नहीं करते
भगवान श्रीकृष्ण, शनि महाराज के ईष्ट देव माने जाते हैं। इनके दर्शन के लिए शनि महाराज ने कोकिला वन में तपस्या की थी। यहीं कोयल रूप में श्रीकृष्ण ने शनि महाराज को दर्शन दिए थे और शनि महाराज ने कहा था कि वह कृष्ण भक्तों को परेशान नहीं करेंगे।
पीपल से भी डरते हैं शनि देव
शनि देव को पीपल से भी डर लगता है। जो पिप्लाद मुनि का नाम जपेगा और पीपल की पूजा करेगा उससे शनि महाराज दूर रहेंगे यानी उसे नहीं सताएंगे।
अपनी पत्नी से भय खाते हैं
शनि महाराज अपनी पत्नी से भय खाते हैं। इसलिए ज्योतिषशास्त्र में शनि की दशा में शनि पत्नी का नाम मंत्र जपना भी शनि का एक उपाय माना गया है।
इसकी कथा यह है कि एक समय शनि पत्नी ऋतु स्नान करके शनि महाराज के पास आई। लेकिन अपने ईष्ट देव श्रीकृष्ण के ध्यान में लीन शनि महाराज ने पत्नी की ओर नहीं देखा। क्रोधित होकर पत्नी ने शाप दे दिया था।