धर्म-कर्म

भगवान विष्णु के तीन प्रमुख मंदिरों में एक है Shamlaji

शामलाजी (Shamlaji) भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) के तीन प्रमुख मंदिरों में एक है, जो गुजरात (Gujarat) के अरावली जिले (Aravalli District) में है। यह मंदिर श्री कृष्ण अर्थात विष्णु भगवान को समर्पित है। धोली ध्वजा के नाम से भी यह मंदिर प्रख्यात हैं। इसे यह नाम इसके श्वेत ध्वजा से दिया गया हैं। शामलाजी मंदिर […]

शामलाजी (Shamlaji) भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) के तीन प्रमुख मंदिरों में एक है, जो गुजरात (Gujarat) के अरावली जिले (Aravalli District) में है। यह मंदिर श्री कृष्ण अर्थात विष्णु भगवान को समर्पित है। धोली ध्वजा के नाम से भी यह मंदिर प्रख्यात हैं। इसे यह नाम इसके श्वेत ध्वजा से दिया गया हैं।

शामलाजी मंदिर मेशवो तट के किनारे पर बसा है, जो घने जंगलों में स्थित है। शामलाजी में साक्षी गोपाल अर्थात गदाधर रूप में विष्णु भगवान की श्याम रूप की प्रतिमा की पूजा-अर्चना होती है। इस मंदिर श्री कृष्ण के बचपन मैं ग्वाला स्वरूप जिसमें गौ माता की मूर्ति मूर्तियों की भी पूजा अर्चना की जाती है। यह वैष्णव जनों के लिए 154 वा महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।

यह मंदिर कम से कम 500 वर्षों से मौजूद है। इस मंदिर का निर्माण सफेद बलुआ पत्थर तथा ईटों से किया गया है। मंदिर दो मंजिल है, जो खंभों की कतारों पर टिकी हुई है। मंदिरों की दीवारों पर उत्कृष्ट नक्काशी देखने को मिलती है जिसमें रामायण तथा महाभारत महाकाव्य के प्रसंगों को उत्कीर्ण किया गया है।

इसकी सुंदर गुंबदनुमा छत और मुख्य मंदिर के ऊपर पारंपरिक उत्तर भारत शिखर इसके खुले प्रांगण में भव्यता बढ़ाते हैं इसके साथ एक वास्तविक हाथी के आकार की मूर्ति तलाशी गई है।

शामलाजी निर्माण से जुड़ी कथाएं
पहली कथा में पृथ्वी पर सर्वश्रेष्ठ तीर्थ खोजने के लिए अनेकों स्थान का भ्रमण करने के पश्चात ब्राह्मण गण श्यामा जी पहुंचे। इसे उन्होंने अत्याधिक पसंद किया और 1000 वर्ष तक भगवान शिव की तपस्या की। इससे भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें एक यज्ञ करने का आदेश दिया। यज्ञ के आरंभ में भगवान विष्णु ने स्वयं को श्यामा जी के रूप में प्रतिष्ठित किया।

दूसरी कथा के अनुसार देवताओं के वास्तुकार विश्वकर्माजी ने एक रात्रि में किया था परंतु निर्माण पूर्ण करते सुबह हो है इस कारण यह यही स्थापित हो गया।

तीसरी कथा के अनुसार एक आदिवासी ने अपने खेत की जुताई करते समय शामलाजी की मूर्ति पाई, तब से वह रोजाना एक दीपक जलाकर उनकी पूजा करता था इसके वरदान स्वरूप उसके खेत में भरपूर फसल उपजती थी। जब इस बारे में एक वैष्णव को पता लगा तब उसने वहीं पर एक भव्य मंदिर बनवा कर मूर्ति की प्रतिष्ठा की इसके पश्चात कई शासकों द्वारा इसका सोंदर्यीकरण कराया गया।

शामलाजी का इतिहास
शामलाजी मंदिर 11वीं शताब्दी में चालू किस शैली से बनाया गया था अर्थात कम से कम 500 साल और इसका पुनर्निर्माण किया गया था। इस पर पूर्व में धर्म पलकों ने दावा किया था। इधर राज्य के शासकों ने रेवदर, देवदार, नपाड़ा, खालसा, सुनसार, मोढारी, आदि जैसे अन्य गांवों के साथ मोढारी राव साहेब को शालमजी मंदिर की जागीर दी थी। वर्तमान में भी राव साहब इस मंदिर के ट्रस्टी हैं।

कैसे पहुंचे यहां
शामलाजी से सबसे नजदीक हवाई अड्डा अहमदाबाद में है जोकि 106 किलोमीटर दूरी पर है।

शामलाजी रोड खुद एक रेलवे स्टेशन है इस कारण यह भारत के कई शहरों से जुड़ा हुआ है। देश के कई शहरों से बस सुविधा भी यहां के लिए उपलब्ध है।