मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में नरसिंहगढ़ से 15 किलोमीटर दूर स्थित भगवान विष्णु का साका श्याम मंदिर (Saka Shyam Mandir) काफी प्रसिद्ध और प्राचीन माना जाता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां भगवान विष्णु के दस अवतार एक साथ मौजूद है। जिनका एक अलग ही महत्व है। किवदंती है कि इस मंदिर का निर्माण देवताओं ने सिर्फ एक रात में किया।
राजगढ़ जिले के पार्वती नदी पर बसा एक छोटा सा गांव साका श्याम है, जो भगवान विष्णु के इस मंदिर के कारण पूरे मध्यप्रदेश में प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि, दिल्ली के बादशाह अकबर ने अपने सलाहकार हाजी अली को यहां पर आक्रमण करने के लिए भेजा था। मुगलो से मुठभेड़ के दौरान राजा श्याम सिंह वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
पति के प्रेम में बनवाया खूबसूरत मंदिर
साका श्याम जी मंदिर का निर्माण राजा श्याम सिंह की पत्नी रानी भागीरथी ने अपने पति की याद में 16-17वीं में करवाया था। जिसके बाद से इस खूबसूरत मंदिर को राजा और रानी की प्रेम की निशानी माना जाता है। इस मंदिर को इतिहास की दृष्टि से भी काफी महत्व दिया गया है। बताते हैं कि इसमें 1500 देवी-देवताओं की मूर्तियां बनी हुई हैं।
इस मंदिर में मालवीय और राजस्थानी शैली का प्रभाव देखने को मिलता है। मंदिर की दीवारों पर काफी सुंदर चित्र उकेरे गए हैं और अच्छी तरह से नक्काशीदार पत्थर और ईंटों द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर में भगवान विष्णु के दसों अवतार का वर्णन एक साथ देखने को मिलता है। जिसमें मत्स्य अवतार से लेकर कल्कि अवतार तक भगवान विष्णु के समस्त अवतारों का वर्णन किया गया है।
इस मंदिर में भगवान शिव और ब्रह्मा के बारे में भी बताया गया है। वहीं, राजस्थान के प्रसिद्ध कई मंदिरों के बारे में भी इस मंदिर में चित्रण किया गया है। जिसमें राजस्थान के प्रसिद्ध तीर्थ रामदेवरा का वर्णन मिलता है। इसे मालवा का मिनी कश्मीर भी कहा जाता है
साका श्याम सिर्फ मंदिर के लिए ही नहीं जाना जाता बल्कि प्रकृति की खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है। बड़ी तादात में हर साल यहां पर पर्यटक चिड़ीखो में बना वन अभ्यारण घूमने आते हैं। मालवा का मिनी कश्मीर कहां जाने वाला नरसिंहगढ़ के आसपास खूबसूरती देखने को मिलती है। प्रकृति के वातावरण का लुत्फ उठाने भी लोग पहुंचते हैं।
गर्भवती की डिलीवरी नहीं होती, विश्वकर्मा का है शाप
सभी को यह जानकर हैरानी होगी कि आज भी इस गांव में गर्भवती महिला की डिलीवरी नहीं होती है। उसके पीछे का कारण ग्रामीण बताते हैं कि पीढ़ियों से उनके गांव में डिलीवरी नहीं होती, क्योंकि स्वच्छता खराब होती है। डिलीवरी होने से गांव में इसलिए पूर्वजों ने भी कभी गांव में डिलीवरी नहीं होने दी और आज भी गांव में यह मान्यता मानी जा रही है। जिसके चलते गांव के बाहर ही डिलीवरी की जा सके और गांव को स्वच्छ रखा जा सके।
इस चमत्कारी अनहोनी की तह में ग्रामीण विश्वकर्मा के शाप को भी बताते हुए कहते है कि भगवान विश्वकर्मा जब मंदिर का निर्माण कर रहे थे तब किसी प्रसूता के रुदन से शिल्पियों का ध्यान भंग हो गया। वे कुपित हो मंदिर का अधबना छोड़ ओर गाँव मे भविष्य में प्रसव न होने का शाप देकर चलते बने। नतीजन सदियों से गांव में प्रसव नही हुए। किसी ने शाप को चुनोती देते हुए प्रसव कराने की चेष्टा की तो न तो प्रसूता बची ओर न परिवार।