धर्म-कर्म

देवों के देव महादेव के 108 नामों का जप करने से मिलता है मोक्ष

सभी देवों में महादेव का स्थान सबसे ऊंचा माना गया है। संहार के देवता भगवान शिव को सनातन धर्म के आदि पंच देवों में से एक प्रमुख देव माना जाता है। वहीं त्रिदेवों में भी भगवान शिव एक हैं। सप्ताह में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। भगवान भोलेनाथ बड़े ही भोले और […]

सभी देवों में महादेव का स्थान सबसे ऊंचा माना गया है। संहार के देवता भगवान शिव को सनातन धर्म के आदि पंच देवों में से एक प्रमुख देव माना जाता है। वहीं त्रिदेवों में भी भगवान शिव एक हैं। सप्ताह में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। भगवान भोलेनाथ बड़े ही भोले और दयालु हैं। शिवलिंग पर सिर्फ एक लोटा जल चढ़ाने से ही ये खुश हो जाते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं।

शास्त्रों के अनुसार, शिव जी जितने सौम्य और कोमल हैं वे उतने ही उग्र और क्रूर हैं और इन सभी का उल्लेख शास्त्रों में पढ़ने को मिलता है। शिवजी का भोलेनाथ स्वरुप लोगों की श्रद्धा भक्ति से प्रसन्न होकर मनोवांछित फल प्रदान करता है। वहीं शिव का काल भैरव रूप दुष्ट और पापियों का संहार करता है। भगवान शिव ने समय-समय पर विभिन्न मनुष्य अवतारों में धरती पर जन्म लिया है। देवी गौरी, भगवान शंकर जी की अर्धांगिनीं हैं, वह स्वयं त्रिदेवियों में से एक हैं। वैसे तो भक्त भगवान शिव को शंकर, भोलेनाथ, देवो के देव महादेव आदि नामों से पुकारते हैं। इनके 108 नाम ऐसे हैं जिनको लेने मात्र से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं।

भगवान शिव को मृत्यु का देवता माना जाता है और जो भी व्यक्ति शिव जी की अराधना करता है उसे जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान शिव के 108 नाम के जप से हर कोई अपने जीवन और मृत्यु दोनों को सुधार सकता है।

शिव जी के 108 नाम का जप करना बहुत शुभ माना जाता है। शिव जी को अनादि और मृत्युंजयी भी माना गया है और जो भी व्यक्ति भगवान शिव के 108 नाम का जप करता है उसको जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। हम आपको शिव जी के 108 नाम और उनका अर्थ इस लेख में बता रहे हैं-

*शिव : कल्याण स्वरूप
*महेश्वर : माया के अधीश्वर
*शम्भू : आनंद स्वरूप वाले
*शंकर : सबका कल्याण करने वाले
*श्रीकण्ठ : सुंदर कण्ठ वाले
*वामदेव : अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले
*अंबिकानाथ : देवी भगवती के पति
*विष्णुवल्लभ : भगवान विष्णु के अति प्रिय
*नीललोहित : नीले और लाल रंग वाले
*शिवाप्रिय : पार्वती के प्रिय
*शूलपाणी : हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले
*खटवांगी : खटिया का एक पाया रखने वाले
*शशिशेखर : सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले
*शिपिविष्ट : सितुहा में प्रवेश करने वाले
*कृपानिधि : करूणा की खान
*कैलाशवासी : कैलाश के निवासी
*त्रयीमूर्ति : वेदरूपी विग्रह करने वाले
*विरूपाक्ष : विचित्र आंख वाले( शिव के तीन नेत्र हैं)
*कपर्दी : जटाजूट धारण करने वाले
*भक्तवत्सल : भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले
*त्रिलोकेश : तीनों लोकों के स्वामी
*कपाली : कपाल धारण करने वाले
*सर्वज्ञ : सब कुछ जानने वाले
गिरीश : पर्वतों के स्वामी
*विश्वेश्वर : सारे विश्व के ईश्वर
*देव : स्वयं प्रकाश रूप
*महादेव : देवों के भी देव
*भव : संसार के रूप में प्रकट होने वाले
*शर्व : कष्टों को नष्ट करने वाले
*शितिकण्ठ : सफेद कण्ठ वाले
*पिनाकी : पिनाक धनुष धारण करने वाले
*उग्र : अत्यंत उग्र रूप वाले
*कामारी : कामदेव के शत्रु, *अंधकार को हरने वाले
*सुरसूदन : अंधक दैत्य को मारने वाले
*गंगाधर : गंगा जी को धारण करने वाले
*ललाटाक्ष : ललाट में आंख वाले
*महाकाल : कालों के भी काल
*भीम : भयंकर रूप वाले
*परशुहस्त : हाथ में फरसा धारण करने वाले
*मृगपाणी : हाथ में हिरण धारण करने वाले
*जटाधर : जटा रखने वाले
*कवची : कवच धारण करने वाले
*कठोर : अत्यंत मजबूत देह वाले
*त्रिपुरांतक : त्रिपुरासुर को मारने वाले
*वृषांक : बैल के चिह्न वाली ध्वजा वाले
*वृषभारूढ़ : बैल की सवारी वाले
*भस्मोद्धूलितविग्रह : सारे शरीर में भस्म लगाने वाले
*सामप्रिय : सामगान से प्रेम करने वाले
*स्वरमयी : सातों स्वरों में निवास करने वाले
*अनीश्वर : जो स्वयं ही सबके स्वामी है
*परमात्मा : सब आत्माओं में सर्वोच्च
*सोमसूर्याग्निलोचन : चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आंख वाले
*हवि : आहूति रूपी द्रव्य वाले
*यज्ञमय : यज्ञस्वरूप वाले
*सोम : उमा के सहित रूप वाले
*पंचवक्त्र : पांच मुख वाले
*सदाशिव : नित्य कल्याण रूप वाल
*वीरभद्र : वीर होते हुए भी शांत स्वरूप वाले
*गणनाथ : गणों के स्वामी
*प्रजापति : प्रजाओं का पालन करने वाले
*हिरण्यरेता : स्वर्ण तेज वाले
*दुर्धुर्ष : किसी से नहीं दबने वाले
*गिरिश्वर : कैलाश पर्वत पर सोने वाले
*अनघ : पापरहित
*भुजंगभूषण : सांपों के आभूषण वाले
*भर्ग : पापों को भूंज देने वाले
*गिरिधन्वा : मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले
*गिरिप्रिय : पर्वत प्रेमी
*कृत्तिवासा : गजचर्म पहनने वाले
*पुराराति : पुरों का नाश करने वाले
*भगवान् : सर्वसमर्थ ऐश्वर्य संपन्न
*प्रमथाधिप : प्रमथगणों के अधिपति
*मृत्युंजय : मृत्यु को जीतने वाले
*सूक्ष्मतनु : सूक्ष्म शरीर वाले
*जगद्व्यापी : जगत् में व्याप्त होकर रहने वाले
*जगद्गुरू : जगत् के गुरू
*व्योमकेश : आकाश रूपी बाल वाले
*महासेनजनक : कार्तिकेय के पिता
*चारुविक्रम : सुन्दर पराक्रम वाले
रूद्र : भयानक
*भूतपति : भूतप्रेत या पंचभूतों के स्वामी
*तारक : सबको तारने वाले
*परमेश्वर : परम ईश्वर
*दिगम्बर : नग्न, आकाशरूपी वस्त्र वाले
*अष्टमूर्ति : आठ रूप वाले
*अनेकात्मा : अनेक रूप धारण करने वाले
*सात्त्विक : सत्व गुण वाले
*शुद्धविग्रह : शुद्धमूर्ति वाले
*शाश्वत : नित्य रहने वाले
*खण्डपरशु : टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले
*अज : जन्म रहित
*पाशविमोचन : बंधन से छुड़ाने वाले
*मृड : सुखस्वरूप वाले
*पशुपति : पशुओं के स्वामी
*अव्यय : खर्च होने पर भी न घटने वाले
*हरि : विष्णुस्वरूप
*पूषदन्तभित् : पूषा के दांत उखाड़ने वाले
*अव्यग्र : कभी भी व्यथित न होने वाले
*दक्षाध्वरहर : दक्ष के यज्ञ को नष्ट करने वाले
*हर : पापों व तापों को हरने वाले
*भगनेत्रभिद् : भग देवता की आंख फोड़ने वाले
*अव्यक्त : इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले
*सहस्राक्ष : हजार आंखों वाले
*सहस्रपाद : हजार पैरों वाले
*अपवर्गप्रद : कैवल्य मोक्ष देने वाले
*अनंत : देशकालवस्तु रूपी परिछेद से रहित
*स्थाणु : स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले
*हिर्बुध्न्य: कुण्डलिनी को धारण करने वाले

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