आप अपने शरीर को तो रोज ही आराम देते हैं, लेकिन मन और आत्मा को कभी आराम नहीं देते। जिसके चलते आप अपने आपको मानसिक रूप से थका हुआ महसूस करते हैं और आपका मन किसी भी काम के लिए एकाग्रचित नहीं हो पाता। मन और आत्मा को एकाग्र करने के लिए आपको इन्हें भी आराम देना चाहिए। अब आपके मन में ये ख्याल आयेगा कि ऐसा कैसे संभव है। तो आज हम आपको बताते हैं कि कैसे आप अपने मन और आत्मा को शांत और एकाग्रचित कर सकते हैं। इसके लिए आपको भक्ति भाव से व्रत का पालन करना होगा और इसके लिए नवरात्रि से बेहतर समय कोई नहीं है। एक वर्ष में दो नवरात्रि मनाई जाती हैं। पहला ‘चैत्र नवरात्रि’ उत्सव तब होता है जब गर्मी शुरू होती है (मार्च-अप्रैल) और दूसरी ‘शरद नवरात्रि’ तब होती है जब सर्दी शुरू होती है (अक्टूबर-नवंबर)। आप चैत्र और शरदीय नवरात्रि में भक्ति भाव से व्रत के नियमों का पालन करें। इससे आपके तन, मन और आत्मा को विश्राम भी मिलेगा और आप अपनी इन्द्रियों पर काबू भी पा सकेंगे।
अपने मन और शरीर को विश्राम दें
नवरात्रि आपकी आत्मा के विश्राम का समय है। यह वह समय है जिसमें आप खुद को सभी क्रियाओं से अलग कर लेते हैं (जैसे खाना, बोलना, देखना, छूना, सुनना और सूंघना) और खुद में ही विश्राम करते हैं। जब आप इन्द्रियों की इन सभी क्रियाओं से अलग हो जाते हैं तब आप अंतर्मुखी होते हैं और यही वास्तविक रूप में आनंद, सुख और उत्साह का स्त्रोत है।
हममें से बहुत से लोग इसका अनुभव नहीं कर पाते क्योंकि हम निरंतर किसी न किसी काम में उलझे रहते हैं। हमारा मन हर समय व्यस्त रहता है। नवरात्रि वह समय है, जब हम खुद को अपने मन से अलग कर लेते हैं और अपनी आत्मा में विश्राम करते हैं। यही वह समय है जब हम अपनी आत्मा को महसूस कर सकते हैं।
याद करिए कि आपका मूल क्या है
नवरात्रि वह मौका है जब आप इस स्थूल भौतिक संसार से सूक्ष्म आध्यात्मिक संसार की यात्रा कर सकते हैं। सरल शब्दों में – अपने रोज़ाना के कार्यों में से थोड़ा समय निकालिए और अपने ऊपर ध्यान ले जाईये। अपने मूल के बारे में सोचिये-आप कौन हैं ?और कहाँ से आये हैं?अपने भीतर जाईये और ईश्वर के प्रेम को याद करके विश्राम करिए।
श्रद्धा रखिये
हम इस ब्रह्माण्ड से जुड़े हुए हैं, उस परम शक्ति से जुड़े हुए हैं जो इस पूरी सृष्टि को चला रही है। यह शक्ति प्रेम से परिपूर्ण है। यह पूरी सृष्टि प्रेम से परिपूर्ण है। नवरात्रि वह समय है, जिसमें आप याद करते हैं कि उस परम शक्ति को आप बहुत प्रिय हैं! प्रेम की इस भावना में विश्राम करिए। ऐसा करने पर आप पहले से अधिक तरोताज़ा, मज़बूत, ज्ञानी और उत्साहित महसूस करते हैं।
यदि आप आध्यात्मिक संसार की यात्रा करना चाहते हैं तो उसका मार्ग है – मौन, उपवास, जाप और ध्यान।
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