धर्म-कर्म

माँ लक्ष्मी ने देवराज इंद्र को बताया-कैसे आता है धन?

सनातन धर्म में मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) को धन की देवी कहा जाता है। शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को अर्पित किया गया है। कहा जाता है मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार के दिन व्रत रखना चाहिए और पूरे विधि-विधान से माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए, जिससे उनका आशीर्वाद और उनकी कृपा आप पर बनी रहे।

सनातन धर्म में मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) को धन की देवी कहा जाता है। शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को अर्पित किया गया है। कहा जाता है मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार के दिन व्रत रखना चाहिए और पूरे विधि-विधान से माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए, जिससे उनका आशीर्वाद और उनकी कृपा आप पर बनी रहे।

माता लक्ष्मी का वास उस जगह होता है, जहां पर साफ-सफाई होती है, क्योंकि माता लक्ष्मी को साफ-सफाई अत्यंत प्रिय है। जहां गंदगी होती है, वहां मां लक्ष्मी का वास नहीं होता। उस जगह दरिद्रता होती है। अगर धन की कमी से आप जूझ रहे हैं, तो हम आपको स्वयं माता लक्ष्मी द्वारा बताए गए धन कमाने के रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार
एक बार मां लक्ष्मी देवराज इंद्र के यहां पहुंचीं और उन्होंने कहा-इंद्र, मैं आपके यहां निवास करना चाहती हूं। यह बात सुनकर इंद्र को बड़ा आश्चर्य हुआ और कहा-आप असुरों के यहां बड़े ही आदर पूर्वक रहती हैं। वहां रहते हुए आपको किसी भी प्रकार का कोई कष्ट नहीं है। मैं आपसे कई बार स्वर्ग में पधारने की विनती कर चुका हूं, लेकिन आप नहीं आईं।

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आज जब आप बिना बुलाए मेरे यहां आईं हैं, तो इसका क्या कारण है, कृपया मुझे बताइए। देवराज इंद्र की बात सुनकर माता लक्ष्मी ने कहा-कुछ समय पहले असुर भी धर्मात्मा थे और अपने सभी कर्तव्य पूरी तरह से निभाते थे। अब असुर भी अधार्मिक कृत्यों में लिप्त होते जा रहे हैं, जिसकी वजह से मेरा वहां रहना अब संभव नहीं है।

माता लक्ष्मी ने आगे कहा-जिस जगह पर प्रेम के बदले ईर्ष्या, द्वेष और क्रोध पनप जाए, अधार्मिक दुर्गुण और बुरे व्यसन आ जाएं, वहां मैं नहीं रह सकती। मेरा विचार है कि दूषित वातावरण में मेरा निर्वाह संभव नहीं है, इसलिए इन दुराचारी असुरों को छोड़कर मैं तुम्हारे यहां सदगुण वाले स्थान पर वास करने के लिए आई हूं।

माता लक्ष्मी की यह बात सुनकर देवराज इंद्र ने पूछा- हे माता लक्ष्मी और कौन-कौन से दोष हैं, जहां आप निवास नहीं करतीं। तब माता लक्ष्मी ने कहा-इंद्र असुर बड़े ही दुराचारी हैं। जब भी कोई बुजुर्ग सत्पुरुष ज्ञान, विवेक या धर्म की बात करते हैं तो यह असुर उनका उपहास करते हैं। साथ ही उनकी निंदा भी करते हैं, जो पूरी तरह से अधार्मिक कृत्य की श्रेणी में आता है।

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माता लक्ष्मी ने बताया-जिस घर में पाप, अधर्म, स्वार्थ रहता है, उस घर में किसी भी तरह का कोई आशीर्वाद नहीं देतीं। इसके अलावा जो व्यक्ति गुरु, माता-पिता, बड़ों का सम्मान नहीं करते मैं उनके यहां निवास नहीं करती। जो बच्चे अपने माता-पिता को पलट कर जवाब देते हैं, अपने माता-पिता का अनादर करते हैं, बिना कारण अपने माता-पिता से वाद-विवाद करते हैं, ऐसे लोगों पर मेरी कृपा कतई नहीं होती।