धर्म-कर्म

चमत्कार: दीवार पर उकेरी आकृति बन गई गणेश प्रतिमा!

प्रथम पूज्य गणेशजी (Ganeshji) के प्राचीन मंदिरों में से एक मधुर महागणपति मंदिर (Mahaganapati Mandir) केरल में मधुरवाहिनी नदी के तट पर स्थित है। इसका इतिहास 10वीं शताब्दी का माना जाता है। प्रारंभ में यहां शिवजी का ही मंदिर था, लेकिन बाद में ये गणेशजी का मुख्य मंदिर बन गया। इस संबंध में क्षेत्र में कई मान्यताएं प्रचलित हैं।

प्रथम पूज्य गणेशजी (Ganeshji) के प्राचीन मंदिरों में से एक मधुर महागणपति मंदिर (Mahaganapati Mandir) केरल में मधुरवाहिनी नदी के तट पर स्थित है। इसका इतिहास 10वीं शताब्दी का माना जाता है। प्रारंभ में यहां शिवजी का ही मंदिर था, लेकिन बाद में ये गणेशजी का मुख्य मंदिर बन गया। इस संबंध में क्षेत्र में कई मान्यताएं प्रचलित हैं।

क्षेत्र में प्रचलित मान्यता के अनुसार प्रारंभ में यहां सिर्फ शिवजी का ही मंदिर था। उस समय यहां पंडित के साथ उसका पुत्र भी रहता था। पंडित के छोटे बच्चे ने एक दिन मंदिर की दीवार पर गणेशजी की आकृति बना दी। बाद में ये चित्र धीरे-धीरे अपना आकार बढ़ाने लगा और ये आकृति बड़ी और मोटी होती गई। दीवार पर चमत्कारी रूप से उभरी इस प्रतिमा के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आने लगे। बाद में यहां गणेशजी की पूजा मुख्य रूप से होने लगी।

मंदिर के पास ही मधुरवाहिनी नदी है। इस नदी के नाम पर ही मधुर महागणपति के नाम से मंदिर प्रसिद्ध हुआ है। यह मंदिर केरल के कासरगोड शहर से करीब 7 किमी दूर स्थित है। यहां मोगराल नदी यानी मधुवाहिनी नदी बहती है। मंदिर में एक तालाब है। यहां प्रचलित मान्यता के अनुसार तालाब का पानी औषधीय गुणों से भरपूर है। मुदप्पा सेवा यहां मनाया जाने वाला एक विशेष त्यौहार है, जिसमें भगवान गणपति की प्रतिमा को मीठे चावल और घी के मिश्रण से ढंक दिया जाता है, जिसे मुदप्पम कहते हैं।