उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास घाटमपुर के भीतरगांव में बेहटा बुजुर्ग गांव के प्राचीन भगवान जगन्नाथ मंदिर (Jagannath temple) के गर्भगृह के शिखर पर लगे पत्थर से पानी की बूंदे टपकने से हर साल मानसून का संकेत मिलता है। इस बार भी जून का महीना शुरू होते ही मंदिर के शिखर पर लगा पत्थर पसीजने लगा है। रुक-रुक कर पानी की छोटी बूंदे टपकने लगी हैं। बूंदों के छोटे आकार से मानसून कमजोर रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।
इस प्राचीन भगवान जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह के शिखर पर एक पत्थर लगा है। मान्यता है कि मई-जून की चिलचिलाती धूप व गर्मी के बीच पत्थर से पानी की छोटी-बड़ी बूंदे मानसून आने के लगभग 20 दिन पहले ही टपकने लगती हैं। बारिश शुरू होने के बाद पत्थर पूरी तरह सूख जाता है। जगन्नाथ मंदिर के पुजारी कुड़हा शुक्ला बताते हैं इस बार मानसूनी पत्थर का कुछ भाग ही पसीजा है। दो-तीन दिन से रुक-रुक कर बूंदे भी टपक रही है।
इस जगन्नाथ मंदिर को देश विदेश में मानसूनी मंदिर के नाम से जाना जाता है। मुख्य मंदिर की वाह्य आकृति रथनुमा आकार की है, जो प्राचीन 12 खंभों पर बना हुआ है। इसके शिखर पर अष्टधातु से निर्मित विष्णु का सुदर्शन चक्र लगा है। मंदिर के गुंबद में भी चारों ओर चक्र के साथ मोर की आकृतियां बनी हैं। बौद्ध मठ जैसे आकार वाले मंदिर की दीवारें लगभग 14 फीट मोटी हैं। मंदिर के अंदर भगवान जगन्नाथ बलदाऊ और बहन सुभद्रा की काले चिकने पत्थरों की मूर्तियां है।
इस मंदिर की प्राचीनता के पुख्ता प्रमाण तो नहीं मिलता है। हालांकि पुरातत्व विभाग के मुताबिक मंदिर का जीर्णोद्धार 11वीं शताब्दी के आसपास होने के संकेत मिलते हैं। इस मंदिर को देखकर वैद्य वैज्ञानिक भी हैरान हैं।