ब्रम्हा, विष्णु और महेश में देवाधिदेव शिव सबसे शक्तिशाली माने जाते हैं। इसी कारण महादेव को देवाधिदेव भी कहा जाता है। माना जाता है कि ब्रह्मा और विष्णु के अलावा सभी देवतागण उन्हें आपने आराध्य मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। वहीं, लोगों के मन में सवाल उठते है कि देवों के महादेव जो हमेशा कैलाश पर्वत पर समाधि में लीन रहते हैं, इस दौरान वे किसका ध्यान करते हैं? माना जाता है कि उस समय वो अपने आराध्य देव का ध्यान करते हैं, जिसका वर्णन पद्मपुराण के उत्तर खण्ड में किया गया है।
पद्मपुराण में वर्णित कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने महादेव जी से पूछा- प्रभु! कृपया करके बताइए कि आप जब भी समाधि में लीन होते हैं तो आप किसका ध्यान करते हैं? तब भगवान महादेव ने कहा कि देवेश्वरी! मैं तुम्हारे इस प्रश्न का उत्तर जल्द दूंगा।
कुछ दिन के बाद भगवान महादेव कौशिक ऋषि के स्वप्न में आए और उन्होंने ऋषि को आदेश दिया कि तुम राम रक्षास्रोत लिखो। इसपर ऋषि कौशिक ने बड़ी ही विनम्रता से स्वप्न में ही भगवान महादेव से कहा कि प्रभु मैं राम रक्षास्रोत लिखने में असमर्थ हूं। तब भगवान महादेव ने स्वप्न में ही पूरा राम रक्षास्रोत कह सुनाया। फिर अगले दिन कौशिक ऋषि ने उसे लिख डाला।
उसके बाद भगवान महादेव ने माता गौरी से कहा-हे देवी! मैं हमेशा राम नाम का स्मरण करता हूं। ये सुनकर माता गौरी ने फिर भगवान महादेव से पूछा कि हे स्वामी! श्री राम तो विष्णु जी के अवतार हैं, फिर आप विष्णु जी का स्मरण न करके श्री राम का स्मरण क्यों करते हैं? तब महादेव ने कहा-हे देवी! मैं राम का स्मरण इसलिए करता हूं। क्योंकि जैसे प्यासा मनुष्य बड़ी व्याकुलता के साथ पानी को याद करता है, उसी प्रकार मैं भी आकुल होकर श्री विष्णुजी के ही साक्षात् स्वरुप का ही स्मरण करता हूं। जिस प्रकार सर्दी का सताया हुआ आग्नि का स्मरण करता है, वैसे ही देवता, पितर, ऋषि और मनुष्य निरंतर भगवान विष्णु का चिंतन करते रहते हैं।
जैसे पतिव्रता नारी सदा पति को याद किया करती है। भय से आतुर मनुष्य निर्भय आसरे को खोजता फिरता है। धन का लोभी जैसे धन की चिंतन करता है और पुत्र की इच्छा रखने वाला मनुष्य जैसे पुत्र के लिए लालायित रहता है। उसी प्रकार मैं भी श्री विष्णुजी के राम स्वरुप का स्मरण करता हूं। क्यूंकि पूर्व कल में भगवान विष्णु द्वारा निर्मित सम्पूर्ण जगत कर्म के आधीन है और वो कर्म श्री केशव के अधीन है। श्री राम नाम के जप से उसका नाश होता है।
इस प्रकार भगवान शिव ने कहा- इतना ही नहीं राम नाम विष्णु जी के सहस्त्र नाम के बराबर हैं, इसलिए मैं हमेशा राम नाम का रमण करता हूं। परंतु ये भी अद्भुत संयोग ही है कि भगवान राम स्वयं भगवान शिव की आराधना करते हैं। इसलिए जहां भी राम का मंदिर होता है, वहां शिवलिंग अवश्य होगा।