शनिदेव (Shanidev) अत्यंत करुणा की मूर्ति है दुनिया जबरन उनसे भय खाती है। वह जब मनुष्यों पर आते हैं तो मनुष्य निर्बल नहीं अपितु समय से दो-दो हाथ करने के लिए सबल हो जाता है। उसमें अन्याय से लड़ने की उसमें जबरदस्त शक्ति आ जाती है।
शनि देव अन्य ग्रहों जेसे क्रूर नहीं होते। सभी ग्रह मनुष्यों का अहित करते हैं, लेकिन शनि भगवान मनुष्यों का अहित करने के बाद फिर से उसका उद्धार कर देते हैं। वहीं अन्य ग्रह उद्धार नहीं करते। इस प्रकार से श्री शनि भगवान नवगहों में मुकुट मणि है। वे हनुमान जी महाराज के अनन्य मित्र हैं।
शनि देव ने दुनिया में सभी देवी-देवताओं को अपना शिकार बनाया लेकिन श्री हनुमान जी महाराज पर वे कभी नहीं आए। जो भी कोई श्री हनुमान जी महाराज का भक्त रहता है, वह शनि पीड़ा से मुक्त रहता है। शनि भगवान उसकी और देखते भी नहीं है। शनि भगवान के दर्शन करने के बाद श्री हनुमान जी महाराज के दर्शन अवश्य करना चाहिए। जहां पर शनि भगवान है वहां पर हनुमान जी जरुर है। अतः दुनिया की कोई सी भी साधना शनि पीड़ा से मुक्ति नहीं दिला सकती है। शनि पीड़ा से मुक्ति का एक मात्र भी उपाय श्री हनुमान जी की भक्ति है।
शनि देव भगवान रुद्र के अवतार हैं। वे मनुष्यों का चरित्र देखकर व्यवहार करते हैं। वे साधु वृत्ति के मनुष्यों का भला करते हैं, लेकिन दुष्ट मनुष्यों के लिए वह काल है। उनकी प्रसन्नता के लिए इस मंत्र का जप करना चाहिए।
ऊं निलांजन समांभासम रवि पुत्रम यमाग्रजम छाया मार्तण्ड सम भूतम तन्न नमामि शनैश्चरम । ऊं शम शनैश्चराय नमः।