धर्म-कर्म

कई रहस्यों से भरा है भगवान परशुराम महादेव का गुफा मंदिर

राजस्थान (Rajasthan) की अरावली पहाड़ियों (aravalli hills) की तलहटी पर स्थित परशुराम महादेव मंदिर (Parshuram Mahadev Mandir) हिन्दुओं के प्रमुख तीर्थ स्थानों में गिना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण परशुराम ने अपने फरसे से एक बड़ी चट्टान को काटकर किया था।

राजस्थान (Rajasthan) की अरावली पहाड़ियों (aravalli hills) की तलहटी पर स्थित परशुराम महादेव मंदिर (Parshuram Mahadev Mandir) हिन्दुओं के प्रमुख तीर्थ स्थानों में गिना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण परशुराम ने अपने फरसे से एक बड़ी चट्टान को काटकर किया था।

माना जाता है यह वही स्थान है, जहां परशुराम ने भगवान शिव का आह्वान अपने कठोर तप से किया था। आज यह स्थान एक प्रमुख शिवधाम के रूप में जाना जाता है, जिससे परशुराम का भी नाम जुड़ा है। इस गुफा मंदिर तक पहुंचने के लिए 500 सीढ़िया चढ़नी पड़ती है। समुद्र तल से इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 3600 फीट है। बताया जाता है कि इस गुफा का निर्माण एक ही चट्टान को काट कर किया गया है। गुफा का ऊपरी भाग गाय के थन समान प्रतीत होता है। इस गुफा मंदिर के अंदर ही भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। शिवलिंग के ऊपर गोमुख है, जहां से प्राकृतिक रूप से शिवलिंग का जलाभिषेक होता है।

यहां के सादड़ी इलाके में परशुराम का एक बगीचा भी है। मंदिर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर मातृकुंडिया नाम का एक स्थान है। माना जाता है कि यहीं मातृहत्या के पाप से परशुराम को मुक्ति मिली थी।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, परशुराम ने भगवान शिव की कठोर तपस्या कर दिव्य शस्त्र प्राप्त किए थे। यहां गुफा की दीवार पर एक राक्षस की छवि भी अंकित है। माना जाता है कि इस राक्षस को भगवान परशुराम ने अपने फरसे से मारा था। पहाड़ी दुर्गम रास्तों से होते हुए भक्त यहां शिवलिंग के दर्शन के लिए आते हैं। माना जाता है कि यहां सच्चे मन से मांगी मुराद जरूर पूरी होती है।

इस गुफा मंदिर को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं। एक के अनुसार वही व्यक्ति भगवान बद्रीनाथ के कपाट खोल सकता है, जिसने परशुराम महादेव मंदिर के दर्शन किए हो। एक अन्य मान्यता के अनुसार यहां मौजूद शिवलिंग में एक छिद्र है, जिसमें पानी के हजारों घड़े डालने पर भी वो छिद्र नहीं भरता। जबकि दूध का अभिषेक करने पर उस छिद्र के अंदर दूध नहीं जाता।पौराणिक मान्यता के अनुसार यह वही स्थान है, जहां परशुराम ने कर्ण को शस्त्र शिक्षा दी थी।