राजस्थान के झुंझनूं जिले से 70 किलोमीटर दूर आड़ावल पर्वत के उदयपुरवाटी के कस्बे में लोहार्गल (Lohargal) स्थित सूर्य मंदिर (Surya Mandir) को भगवान सूर्य (Bhagwan Surya) का घर माना जाता है। इसका संबंध पांडवों से जुड़ा हुआ है। इस तीर्थ स्थल को पुष्कर (Pushkar) तीर्थ (Pushkar) के सभी तीर्थों में से मुख्य तीर्थ स्थल माना जाता है।
मान्यता है कि पांडवों को लोहार्गल के सूर्य मंदिर तीर्थ में सगे-संबंधियों की हत्या के पाप से मुक्ति मिली थी। यहां सूर्यदेव के साथ इनकी पत्नी छाया की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरे होते हैं। यह भी मान्यता है कि भगवान विष्णु की तपस्या से यहां सूर्यदेव को पत्नी छाया के साथ रहने के लिए स्थान मिला था।
सूर्य कुंड (Surya Kund) में स्नान से त्वचा रोगों से मिलती है मुक्ति
यहां स्थित सूर्य कुंड में स्नान करने से त्वचा संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है। सूर्यदेव संग इनकी पत्नी छाया की पूजा से सब प्रकार के मनोरथ भी पूरे होते हैं। यह सूर्य देव के प्राचीन मंदिरों में से एक है, जिसे कोणार्क के सूर्य मंदिर का समकक्ष माना जाता है।
मंदिर का निर्माण
माना जाता है कि कत्यूरी वंश के राजा कटरमाल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। लोगों की आस्था है कि यहां श्रद्धापूर्वक जो भी मनोकामना मांगी जाती है वह पूरी होती है। पद्मासन की मुद्रा में बैठे सूर्यदेव अपने भक्तों को रोग और दुखों से मुक्ति दिलाते हैं।
परशुराम ने यहां पाप मुक्ति के लिए किया था हवन
कहा जाता है की भगवान विष्णु के छठें अवतार ने परशुराम ने जब क्षत्रियों का संहार कर दिया था तब बाद में उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ तो उन्होंने पाप मुक्ति और पश्चाताप के लिए यहां रहकर हवन किया था।