धर्म-कर्म

कैसे लक्ष्य तक पहुंचे, यह सीख हनुमान जी से लें

सुंदरकांड (Sundarkand) में हनुमानजी (Hanumanji) सीता (Sita) की खोज में समुद्र पार कर रहे थे तब सुरसा और सिंहिका नाम की राक्षसियों ने उनका रोका था, लेकिन वे रुके नहीं और अपने लक्ष्य यानी लंका तक पहुंच गए। अगर आप भी लक्ष्य तक पहुंचना चाहते हैं तो हनुमान जी की 4 बातें आ सकती हैं […]

सुंदरकांड (Sundarkand) में हनुमानजी (Hanumanji) सीता (Sita) की खोज में समुद्र पार कर रहे थे तब सुरसा और सिंहिका नाम की राक्षसियों ने उनका रोका था, लेकिन वे रुके नहीं और अपने लक्ष्य यानी लंका तक पहुंच गए।

अगर आप भी लक्ष्य तक पहुंचना चाहते हैं तो हनुमान जी की 4 बातें आ सकती हैं काम।

हनुमान जी की पूजा से ही नहीं, बल्कि उनसे कुछ बातें सीख लेने पर भी हमारी कई परेशानियां दूर हो सकती हैं और सभी कामों में सफलता मिल सकती है। श्रीराम चरित मानस के कुछ खास प्रसंगों के अनुसार जानिए हनुमान जी से हम कौन-कौन सी बातें सीख सकते हैं।

समस्याओं से डरकर रुकना नहीं चाहिए
सुंदरकांड में हनुमान जी जब सीता की खोज में समुद्र पार कर रहे थे तब उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। सुरसा और सिंहिका नाम की राक्षसियों ने हनुमान जी को समुद्र पार करने से रोका था, लेकिन वे नहीं रुके और लंका पहुंच गए। हमें भी कदम-कदम पर ऐसे ही संघर्षों का सामना करना पड़ता है। संघर्षों से न डरते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की सीख हनुमानजी से लेनी चाहिए।

कभी भी समय न गवाएं
हनुमान जी ने समुद्र पार करते समय सुरसा से लड़ने में समय नहीं गंवाया। सुरसा हनुमान जी को खाना चाहती थी। उस समय हनुमानजी ने अपनी चतुराई से पहले अपने शरीर का आकार बढ़ाया और अचानक छोटा रूप कर लिया। छोटा रूप धरने के बाद हनुमान जी सुरसा के मुंह में प्रवेश करके वापस बाहर आ गए। हनुमान जी की इस चतुराई से सुरसा प्रसन्न हो गई और रास्ता छोड़ दिया। इस तरह हनुमान जी से हम सीख सकते हैं कि हमें किसी भी परिस्थिति में समय गवाना नहीं चाहिए।

संयमित होना चाहिए जीवन
हनुमान जी आजीवन ब्रह्मचारी रहे और उनका जीवन संयमित था। संयम पूर्वक रहने के कारण ही वे बहुत ताकतवर थे। असंयमित दिनचर्या के कारण गंभीर रोगों का डर लगा रहता है। संयम के साथ कैसे रहना चाहिए, ये बात हम हनुमान जी से सीख सकते हैं।

समाज सेवा होना चाहिए मूल उद्देश्य
हनुमान जी का अवतार श्रीराम के काम के लिए हुआ था। उनका मूल उद्देश्य श्रीराम का काम करना यानी रावण का अंत करके तीनों लोकों का सुखी करना था। हमें भी हनुमानजी से यह प्रेरणा लेनी चाहिए। जो लोग अच्छा और समाज सेवा का काम करते हैं, हमें उनका साथ देना चाहिए।