सनातन परम्परा के अनुसार हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की हस्त नक्षत्र युक्त तृतीया तिथि को हरतालिका तीज मनाया जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती जी को समर्पित है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। यह पर्व यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश समेत कई उत्तर-पूर्वीय राज्यों में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती एवं भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो सुहागिन महिलाएं पूर्णतः विधि विधान से व्रत रखती हैं उन्हें अखण्ड सौभाग्यवती होने का वर प्राप्त होता है।
हरितालिका प्रदोषकाल पूजन मुहूर्त:- आचार्य पंडित शुभ दर्शन
दिनांक:- 9 सितंबर 2021 (गुरुवार)
शाम 06ः33 बजे से रात 08ः51 बजे तक।
हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त
हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज मनायी जाती है। इस वर्ष तिथि का प्रारंभ 09 सितंबर 2021 दिन गुरूवार को हो रहा है।
इस वर्ष अमृतयोग भी रहेगा।
वहीं इसके शुभ मुहूर्त के बारे में अगर बात करें तो प्रातः काल 06ः03 बजे से सुबह 08ः33 मिनट तक सामान्य पूजन के लिए शुभ मुहूर्त है।
हरितालिका पूजन हेतु प्रदोषकाल पूजा मुहूर्त शाम 06ः33 बजे से रात 08ः51 बजे तक है। तृतीया तिथि का प्रारंभ 9 सितंबर 2021 दिन गुरूवार की सुबह 02ः33 बजे से शुरू होकर 9 सितंबर 2021 दिन गुरूवार की रात 12ः18 बजे पर समापन होगा।
हरतालिका तीज व्रत एवम् पूजन विधि – आचार्य शुभ दर्शन
अगर आप भी व्रत रखने की इच्छा रखती हैं तो इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती जी को साक्षी मानकर व्रत का संकल्प लें।
दिन भर व्रत के दौरान निर्जला हीं आपको रहना है। हरतालिका तीज व्रत की पूजा प्रदोषकाल में हीं करना उचित है।सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल में भगवान् महादेव व माता पार्वती जी की बालू, रेत या मिट्टी से बनी मूर्ति को स्थापित करें और पूजा करे।माता पार्वती जी को पूजा के दौरान सुहाग की सभी सामग्री अर्पित करना है। अंत में व्रत कथा सुनने के बाद आरती करें। सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि यह व्रत पूर्णतः निराहार और निर्जला होता है। व्रत के दौरान महिलाएं सुबह से लेकर अगले दिन की सुबह सूर्योदय तक जल ग्रहण नहीं कर सकतीं। 24 घंटे तक बिना जल अन्न के हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को जब एक बार शुरू कर दिया जाता है तो हर साल इसे निभाया जाता है, इसे आप बीच में नहीं छोड़ सकतीं। इस दिन महिलाओं को नए कपड़े पहनना होता है, और आस-पास की सभी महिलाएं रात भर जग कर भजन कीर्तन आदि करती हैं।
हरतालिका तीज का व्रत अगर आपने जीवन में एक बार रख लिया तो आप इसका त्याग नहीं कर सकते. एक बार यह व्रत रखने के बाद आपको जीवनभर इसकी तपस्या करना पड़ती है और इसे प्रत्येक वर्ष रखना पड़ता है।
महिलाएं इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की मानसिक रूप से आराधना करें तो ज्यादा बेहतर होगा।
इस दिन महिलाओं को खाना तो दूर की बात है पानी पीने से भी परहेज करना पड़ता है। व्रती महिलाओं को भूल से भी पानी नहीं पीना चाहिए।
जिस घर में किसी ने व्रत नहीं भी रखा गया हो तब भी उस घर में सभी को मांस या मदिरा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
Comment here
You must be logged in to post a comment.