धर्म-कर्म

Ganpatipule Temple: यहां खुद प्रकट हुए थे गणपति

कोंकण समुद्र तट पर श्री गणेश का एक विशाल मंदिर स्थापित है। मंदिर में भक्तों का तांता सालभर लगा रहता है। गणेशोत्सव के दौरान तो यहां की रौनक आकर्षण का केंद्र होती है। यहां स्थित स्वयंभू गणेश मंदिर पश्चिम द्वारदेवता के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। गणेश जी के इस प्राचीन मंदिर में लोग गणपति का आशीर्वाद लेने दूर-दूर से आते हैं और प्रसन्न होकर जाते हैं।

कोंकण समुद्र तट पर श्री गणेश का एक विशाल मंदिर स्थापित है। मंदिर में भक्तों का तांता सालभर लगा रहता है। गणेशोत्सव के दौरान तो यहां की रौनक आकर्षण का केंद्र होती है। यहां स्थित स्वयंभू गणेश मंदिर पश्चिम द्वारदेवता के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। गणेश जी के इस प्राचीन मंदिर में लोग गणपति का आशीर्वाद लेने दूर-दूर से आते हैं और प्रसन्न होकर जाते हैं।

कोंकण समुद्र तट पर स्थित यह मंदिर सुंदर बीच और स्वच्छ पानी के अलावा वनस्पति के मामले में भी काफी समृद्ध है। यह समुद्र तट मुंबई से 375 किलोमीटर की दूर, रत्नागिरि जिले में बना है। महाराष्ट्र राज्य में रत्नागिरि के एक छोटे से गांव में बने इस मंदिर वाले क्षेत्र में मैनग्रोव और नारियल के पेड़ों की भरमार है।

400 साल पुराना है मंदिर
लोकप्रिय स्वयंभू गणेश मंदिर गणपतिपुले मंदिर (Ganpatipule Mandir) के नाम से जाना जाता है और रत्नागिरि जिले में स्थित है। मंदिर 400 साल से ज्यादा पुराना है और यह माना जाता है कि भगवान गणपति खुद यहां प्रकट हुए, जिससे स्वयंभू का खिताब दिया गया।

मंदिर में स्थित गणेश जी की मूर्ति सफेद रेत से बनी हुई है और सालाना हजारों भक्तों को आकर्षित करती है। यह एक अखंड चट्टान से नक़्क़ाशा गया है। यह हजारों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है, जो मंदिर में भगवान गणपति का आशीर्वाद पाने के लिए हर साल जुटते है। गणपति को पश्चिम द्वार देवता माना जाता है। यह माना जाता है कि स्थानीय लोग जो गणपतिपुले में रहते हैं उन्हें खुद भगवान आशीर्वाद देते हैं।