कलयुग के देवता हनुमान जी (Hanuman ji) के भारत में कई प्राचीन मंदिर स्थापित हैं, जो अपनी-अपनी मान्यताओं को लेकर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही एक मंदिर नैनीताल की खूबसूरत वादियों के बीच और समुद्र तल से 1951 मीटर की ऊचांई पर स्थित है। इस हनुमान मंदिर (Hanuman Mandir) को हनुमानगढ़ी (Hanumangarhi) के नाम से जाना जाता है। नैनीताल के अतिरिक्त भारत के अन्य प्रदेशों में भी हनुमान गढ़ी के नाम से कई मंदिर प्रसिद्ध हैं।
इस मंदिर का निर्माण नैनीताल के स्थानीय संत नीम करोली बाबा के द्वारा 1950 में करवाया गया था। इस मंदिर की पहाड़ी की दूसरी ओर शीतला माता का मंदिर स्थापित हैं। कैंची धाम मंदिर की वास्तुकला उत्तर भारतीय शैली में है। कैंची धाम (Kainchi Dham) उत्तराखंड (Uttarakhand) स्थित नैनीताल-अल्मोडा मार्ग पर नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर एवं भवाली से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हर साल 15 जून को यहां बड़े मेले का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से भक्त आते हैं।
इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो भी भक्त यहां सच्चे मन से प्रार्थना कर मन्नत मांगता है वो अवश्य पूरी होती है। प्रतिवर्ष इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।
हनुमानगढ़ी मंदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है कि मंदिर परिसर की जगह पर पहले एक घना जंगल था। जहां एक मिट्टी का टीला था, जिसके समीप बैठकर संत नीम करोली ने पूरे एक वर्ष तक “राम नाम” का जाप किया था। उनकी ऐसी भक्ति भाव को देखकर वहां मौजूद पेड़-पौधे भी भगवान राम का नाम जपने लगे। यह अद्भुत दृश्य देखकर संत ने कीर्तन कराया और कीर्तन समाप्त होने के बाद भंडारा कराया, परंतु प्रसाद बनाते समय घी कम पड़ गया तो बाबा ने पानी के एक कनस्तर को कढ़ाई में डाल दिया, चमत्कार तब हुआ जब वह पानी स्वयं घी में परिवर्तित हो गया।
इस मंदिर में अष्टधातु की बनी भगवान राम-सीता व भगवान कृष्ण और बाबा नीम करोली महाराज की प्रतिमा स्थापित है। हनुमानगढ़ी के पास ही एक बड़ी वेद्यशाला है। इस स्थान में हनुमान मंदिर के अलावा देवी मंदिर, शिव मंदिर और माता अंजना का मंदिर हैं।
यह स्थान अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता, ऊंचे-ऊंचे पर्वत, लहराते हुए हरे-भरे पेड़ों और ठंडी हवाओं के कारण पर्यटकों के मन को भा लेता है। इस स्थान से शाम के समय पहाड़ियों में डूबते सूर्यास्त को देखकर बड़ा ही मनभावन दृश्य नज़र आता है।