धर्म-कर्म

Diuri Mandir में 16 भुजाओं वाली मां देती हैं दर्शन

झारखंड (Jharkhand) राज्य में दिउड़ी (Diuri Mandir) की मां भगवती प्राचीन महिमामयी देवीस्थानों में से एक मानी जाती हैं। यह स्थान मनौती पूर्ण करने के विशिष्ट केंद्र के रूप में लोक आस्था का केंद्र बना हुआ है। इसके गुंबदनुमा मीनारयुक्त शिखर और संपूर्ण ऊपरी भाग पर विविध देव मूर्तियों का सुंदर अंकन है। एक ऊंचे […]

झारखंड (Jharkhand) राज्य में दिउड़ी (Diuri Mandir) की मां भगवती प्राचीन महिमामयी देवीस्थानों में से एक मानी जाती हैं। यह स्थान मनौती पूर्ण करने के विशिष्ट केंद्र के रूप में लोक आस्था का केंद्र बना हुआ है। इसके गुंबदनुमा मीनारयुक्त शिखर और संपूर्ण ऊपरी भाग पर विविध देव मूर्तियों का सुंदर अंकन है।

एक ऊंचे प्लेटफार्म पर बने नए मंदिर के ठीक बीच में विभिन्न आकार-प्रकार के पाषाण खंडों से बने पुराने मंदिर का ढांचा और उसी के बीच गर्भगृह में माता के दर्शन होते हैं।

गर्भगृह के अंदर करीब साढ़े तीन फीट ऊंची माता रानी का आकर्षक विग्रह काले चमकदार पत्थर का बना हुआ है। यहां मां की मूर्ति में 16 भुजाएं बनी हुई हैं, जबकि अन्य प्रतिमाओं में आमतौर 8 भुजाएं ही होती हैं। वस्त्र-आभूषणों और पुष्पों से सुसज्जित मां की यह प्रतिमा कमल दल पर विराजित है।

सबसे खास बात यह है कि यहां पूजा-अर्चना आदिवासी धार्मिक परम्परा के ब्राह्मण पाहन और सनातन पंडा-पुजारी दोनों समान रूप से करते हैं। यहां के एक पुजारी मनसा पाहुन बताते हैं कि हमारी कुल परम्परा के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना कलिंग जाते समय स्वयं सम्राट अशोक ने पाहुन श्रेष्ठ के आशीर्वाद के उपरांत की थी।

स्थापना की कथा
मां दिउड़ी की स्थापना की कथा आदिवासियों के एक बड़े समुदाय ‘असुर’ से भी जुड़ी है। मां दिउड़ी इनकी अधिष्ठात्री शक्ति हैं। विवरण मिलता है कि वर्ष 1300 ईस्वी के आसपास सिंहभूम के मुंडा राजा केरा ने युद्ध में पराजित होने के बाद यहां एक विशेष अनुष्ठान के तहत मां की साधना कर उन्हें जाग्रत किया था, जिसके फलस्वरूप न सिर्फ उन्हें खोया हुआ राज्य मिल गया, पहले की तरह सर्वत्र सुख-शांति कायम हो गई।

इस मंदिर में माताजी के साथ-साथ गणेश जी, शिव शंकर, श्रीभैरव, मां काली, मां अन्नपूर्णा, पाहुन पीठ, लोक देवी-देवता और ब्रह्म देवता का स्थान है।

यहां प्रत्येक मंगलवार, शनिवार, रविवार और साल के दोनों नवरात्रों, 1 जनवरी, करमा, सरहुल जैसे पर्वों में भक्तों की भारी उपस्थिति से यहां महामेला सा दृश्य हो जाता है। कहते हैं जो जिस भाव को लेकर आता है, मां उसे निश्चित रूप से पूरा करती है। मां दिउड़ी तीर्थ में सामान्यत: सुबह 4 बजे से रात्रि 8 बजे तक भक्त दर्शन कर सकते हैं।

मंदिर को अपना ‘किस्मत कनेक्शन’ मानते हैं धोनी
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे दिग्गज क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) दिउड़ी मंदिर (Diuri Mandir) को अपना ‘किस्मत कनेक्शन’ मानते हैं। धोनी ने 2011 में विश्वकप के लिए खेलने जाने से पहले और फिर ट्रॉफी जीतने के बाद मंदिर में पूजा की थी।

इससे पहले भी कई टूर्नामेंट्स खेलने के पहले वे यहां अपनी मां और पत्नी के साथ आशीर्वाद लेने जरूर पहुंचते हैं। मंदिर में धोनी के आने के पहले कोई सूचना लोगों को तो नहीं मिलती लेकिन मंदिर के बाहर हमर या फिर लैंड रोवर गाड़ी होने का मतलब है कि महेंद्र सिंह धोनी दिउड़ी मंदिर आए हैं।

इस मंदिर का राष्ट्रीय मानचित्र पर आना और महेंद्र सिंह धोनी का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में चमकना दोनों ही बातें लगभग एक ही समय हुईं। 1998 में जब धोनी रणजी में खेला करते थे तब से वे इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं।

हर महत्वपूर्ण क्रिकेट सीरीज से पहले वे काली मां का आशीर्वाद पाने यहां पहुंचते हैं। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर और टीम इंडिया के सलामी बल्लेबाज रहे शिखर धवन भी यहां दर्शन करने आ चुके हैं।

यह मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग-33 पर झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 60 किलोमीटर और टाटानगर से 75 किलोमीटर दूरी पर विराजमान मां का स्थान तमाड़ प्रखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर मुख्य सड़क के किनारे स्थित है।