उत्तराखंड (Uttarakhand) की धर्मनगरी हरिद्वार (Haridwar) में प्रसिद्ध माँ चंडी देवी का मंदिर (Chandi Devi Mandir) है। देश में मौजूद 52 पीठों में से एक नील पर्वत पर स्थित इस मंदिर में मां खंभ के रूप में विराजमान है। वैसे तो यहां साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन मान्यता है की नवरात्र के दौरान जो भक्त माता के इस दरबार में सच्चे मन प्रार्थना करता है, मां उसकी हर मन्नत पूरी करती है।
पौराणिक कथा
गंगा से सटे नील पर्वत पर स्थित मां चंडी का दरबार आदि काल से है। जब शुंभ, निशुंभ और महिसासुर ने इस धरती पर प्रलय मचाया हुआ था तब देवताओं ने उनका संहार करने का प्रयास किया, लेकिन जब उन्हें सफलता नहीं मिली तो उन्होंने महादेव के दरबार में दोनों के संहार के लिए गुहार लगाई। तब भगवान शिव और देवताओं के तेज से मां चंडी ने अवतार लिया और चंडीरूप धारण कर उन दैत्यों को दौड़ाया। शुंभ, निशुंभ इस नील पर्वत पर मां चंडी से बच कर छिपे हुए थे, तभी माता ने यहां पर खंभ रूप में प्रकट होकर दोनों का वध कर दिया।
माता ने इसके उपरांत देवताओं से वर मांगने को कहा। स्वर्गलोक के सभी देवताओं ने मानव जाति के कल्याण के लिए माता को इसी स्थान पर विराजमान रहने का वर मांगा। तब से ही माता यहां पर विराजमान हो कर अपने भक्तों का कल्याण कर रही है।
आदि शंकराचार्य ने कराया था जीर्णोद्धार
नवरात्र में यहां देश के विभिन्न कोनों से भक्त पहुंचते हैं। मां भक्तों की मनोकामना पूरी करती है। आठवीं शताब्दी में मां चंडी देवी का जीर्णोद्धार जगदगुरु आदि शंकराचार्य ने विधिवत रूप से कराया था। इसके बाद कश्मीर के राजा सुचेत सिंह ने 1872 में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। मां रुद्र चंडी एक खंभे के रूप में स्वयंभू अवतरित हैं।
हरिद्वार से मां चंडी देवी मंदिर जाने के दो रास्ते हैं, जिनमें से आप किसी भी एक रास्ते से मां चंडी देवी मंदिर पहुंच सकते हैं।
पैदल: हरिद्वार के हर की पौड़ी से मां चंडी देवी मंदिर की दूरी लगभग 5 किलोमीटर है, जहां पर आप पैदल यात्रा करके जा सकते हैं। इस रास्ता को काफी कठिन माना जाता है।
रोपवे: मां चंडी देवी मंदिर जाने के लिए रोपवे की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है, जिसे “उड़न खटोला” के नाम से भी जाना जाता है। रोपवे की सुविधा लेकर मां चंडी देवी मंदिर जाने और आने का किराया 193 रूपए है। इसलिए अगर आप किसी बुजुर्ग के साथ हरिद्वार से मा चंडी देवी मंदिर की यात्रा कर रहे हैं, तो आप उन्हें रोपवे पर बैठाकर ही मां चंडी देवी के दर्शन कराने ले जाएं, क्योंकि उनके लिए मां चंडी देवी मंदिर की पैदल यात्रा करना काफी मुश्किल हो सकता है।