अष्टलक्ष्मी मंदिर (Ashtalakshmi Temple) चेन्नई (Chennai) में इलियट के समुद्र तट (बसंत नगर बीच) के पास स्थित है। मंदिर देवी लक्ष्मी और उनके 8 प्राथमिक रूपों को समर्पित है। गर्भगृहों को एक बहु स्तरीय परिसर में इस तरह से चित्रित किया गया है कि आगंतुक किसी भी गर्भगृह में कदम रखे बिना सभी मंदिरों में जा सकते हैं। इस मंदिर की लंबाई 65 फीट और चौड़ाई 45 फीट है।
इस मंदिर का निर्माण कांची मठ के श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामी की इच्छा पर किया गया था। मंदिर का अभिषेक 5 अप्रैल 1976 को अहोबिला मठ के 44वें गुरु वेदांत ढेसिका यतीन्द्र महाधेसिकन स्वामी की उपस्थिति में हुआ था। इस पावन स्थल की खासियत है कि मंदिर में स्थापित प्रतिमाएं घड़ी की सुइयों की दिशा में आगे की ओर बढ़ने पर नजर आती है। इसके साथ ही मंदिर में संसार के पालनहार श्रीहरि और धन की देवी लक्ष्मी की एक प्रतिमा भी है। ॐ आकार में बने मंदिर की वास्तुकला बेहद ही सुंदर व आकर्षित है।
मंदिर परिसर में ही श्री गणेश, श्री हनुमान का अंजनेय रूप, चिकित्सा के देवता धन्वंतरि, महालक्ष्मी एवं महाविष्णु उपस्थित हैं। इसके साथ मंदिर के सामने पवित्र जल स्रोत के रूप में स्वयं विशाल महासागर विद्यमान है। मंदिर के शांतिमय वातावरण में समुद्र की गूंजती हुई लहरें तथा मंदिर के दूसरे फ्लोर से समुद्र दर्शन मां लक्ष्मी के भक्तों को और भी रोमांचित कर देता है। यहां पूजा, प्रसाद एवं धार्मिक पुस्तकों की प्राप्ति हेतु मंदिर में एक दुकान भी उपलब्ध है। मंदिर में आने वालों के लिए बाइक और कार की सीमित पार्किंग उपलब्ध है।
पौराणिक कथा
मान्यता है कि देवी लक्ष्मी से विवाह करने वाले महाविष्णु ने भी देवी लक्ष्मी के आठ रूपों से विवाह किया था और वे एक साथ मंदिर के अंदर रहते हैं। इसलिए अष्टलक्ष्मी (लक्ष्मी के आठ रूप) मंदिर (Ashtalakshmi Mandir) नाम है। देवी लक्ष्मी के आठ रूप हैं- आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी और विद्यालक्ष्मी।