दिल्ली/एन.सी.आर.

MCD Election: तीनों निगमों के विलय की बारी, मोदी कैबिनेट ने की तैयारी

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के तीन नगर निगमों को एकीकृत करने का फैसला किया है। यह राज्य में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी सरकार के लिए एक बड़ा झटका है। मंगलवार को मोदी कैबिनेट ने दिल्ली के तीनों निगमों के विलय के फैसले को मंजूरी दे दी है। अब दिल्ली में तीन […]

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के तीन नगर निगमों को एकीकृत करने का फैसला किया है। यह राज्य में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी सरकार के लिए एक बड़ा झटका है।
मंगलवार को मोदी कैबिनेट ने दिल्ली के तीनों निगमों के विलय के फैसले को मंजूरी दे दी है। अब दिल्ली में तीन की जगह एक ही मेयर होगा। इसके अलावा उत्तर, दक्षिण और पूर्व नगर निगमों के स्थान पर एक ही नगर निगम होगा।
डीएमसी एक्ट की धारा में होगा बदलाव
तीनों नगर निगमों के विलय के बाद दिल्ली की आप सरकार को नगर निगम के अस्तित्व में आने से पूरी तरह दूर रखने की संभावना जताई जा रही है। केंद्र सरकार दिल्ली सरकार से नगर निगम अधिनियम (डीएमसी अधिनियम) की 17 धाराओं की शक्ति छीन सकती है। पहले केंद्र सरकार को इन धाराओं के तहत कार्रवाई करने का अधिकार था, लेकिन अक्टूबर 2009 में केंद्र ने दिल्ली सरकार को इन धाराओं के तहत कार्रवाई करने का अधिकार दिया था। इसके बाद से दिल्ली सरकार का नगर निगम के कामकाज में दखल बढ़ गया।
भाजपा नेताओं ने केंद्र से किया था आग्रह
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली प्रदेश बीजेपी के नेताओं ने केंद्र सरकार से नगर निगम को दिल्ली सरकार से पूरी तरह मुक्त करने की गुहार लगाई है। बशर्ते कि वह तीनों नगर निगमों का रखरखाव करता हो या तीनों निगमों को मिलाकर एक निगम बनाता हो, क्योंकि दिल्ली सरकार को डीएमसी अधिनियम की कुछ धाराओं के तहत कार्रवाई करने का अधिकार प्राप्त है। इस वजह से वह तीनों नगर निगमों को एकीकृत नगर निगम की तरह लगातार परेशान कर रही है।
आप सरकार ने लटकाई फाइलें
भाजपा नेताओं का कहना है कि दिल्ली सरकार उपरोक्त वर्गों से संबंधित कार्यों की फाइल लटका कर रखती है, जिससे निगम का कामकाज प्रभावित होता है। भाजपा नेताओं ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह पहले की तरह नगर निगम को पूरी तरह से अपने नियंत्रण में ले ले।
शीला दीक्षित सरकार ने केंद्र को भेजा था प्रस्ताव
दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार ने वर्ष 2009 में नगर निगम को पूरी तरह से अपने अधिकार में लेने के प्रयास में केंद्रीय गृह मंत्रालय से डीएमसी अधिनियम की 23 धाराओं के अधिकार लेने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था, लेकिन केंद्र ने उन्हें केवल 17 वर्गों का अधिकार दिया था और उनमें से 12 धाराएं उन्हें पूरी तरह से दी गई थीं, जबकि उन्हें केंद्र सरकार को पांच धाराओं के तहत सिफारिश करने का अधिकार दिया गया था।