नई दिल्लीः केंद्र और प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के बीच महत्वपूर्ण वार्ता से एक दिन पहले, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कहा कि सरकार तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के अलावा, जोकि किसानों की प्रमुख मांग है, के अलावा सरकार किसी भी प्रस्ताव पर विचार करने के लिए तैयार है।
किसान संगठनों से सरकार की ओर से खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश के साथ बातचीत का नेतृत्व कर रहे तोमर ने कहा कि वे अभी नहीं कह सकते कि 8 जनवरी को दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन में 40 विरोध प्रदर्शन वाले किसान संगठनों के साथ बैठक का क्या परिणाम होगा।
मंत्री ने गतिरोध समाप्त करने के लिए पंजाब के नानकसर गुरुद्वारा प्रमुख बाबा लाखा को राज्य के प्रसिद्ध धार्मिक नेता के रूप में कोई प्रस्ताव देने से इनकार किया। तोमर ने 8 जनवरी की बैठक के संभावित परिणाम के बारे में पूछे जाने पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं अभी कुछ नहीं कह सकता। यह इस बात पर निर्भर करता है कि बैठक में चर्चा के लिए कौन से मुद्दे आएंगे।’’
सरकार के साथ वार्ता के बाद, हजारों किसानों ने गुरुवार को भारी पुलिस तैनाती के बीच तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघू, टिकरी और गाजीपुर सीमाओं और हरियाणा के रेवासा के विरोध स्थलों से ट्रैक्टर मार्च निकाले।
प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के अनुसार, यह उनकी प्रस्तावित 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के लिए सिर्फ एक ‘पूर्वाभ्यास’ है जो हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से राष्ट्रीय राजधानी में स्थानांतरित होगा।
केंद्र और 40 प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच पिछले सात दौर की वार्ता अभी तक विफल रही है। हालांकि 30 दिसंबर की बैठक में कुछ सफलता मिली जब सरकार ने बिजली सब्सिडी और पराली जलाने से संबंधित मांगे आंदोलनकारी किसानों ने मान ली थी।
प्रदर्शनकारी किसान दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से अधिक समय से डेरा डाले हुए हैं और तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। वे फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी भी मांग रहे हैं। इन प्रदर्शनकारी किसानों में ज्यादातर पंजाब और हरियाणा से हैं।
(With agency input)
Comment here
You must be logged in to post a comment.