नई दिल्ली: जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय की गुरुग्राम इकाई ने फर्जी इन्वॉइस गिरोह चलाने के आरोप में गिरोह के दो सदस्यों विकास और मनीष को गिरफ्तार किया है। इन दोनों ने 4,800 करोड़ रुपये के फर्जी जीएसटी इन्वॉइस जारी कर राजकोष में 690 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की।
दोनों आरोपी हरियाणा के सिरसा के रहने वाले हैं और वे इस मामले में पकड़े जाने से बचने के लिए और अपने धोखाधड़ी के काम को जारी रखने के लिए नेपाल भाग गए थे। सुराग मिलने पर उन्हें पकड़ लिया गया और उनके पास से बहुत से फर्जी दस्तावेज और बहुत से लैपटॉप, स्मार्ट फोन, डेबिट कार्ड, बहुत से लोगों के पैन और आधार कार्डों की जानकारी तथा बहुत सारे नोटरी स्टैंप आदि बरामद किए गए। दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। उनके पास से बरामद ढेर सारे आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है और इस मामले में अन्य लोगों और कंपनियों की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता। इस पूरे घोटाले को ऐसे बहुत से अत्याधुनिक एप्स और मैसेजिंग सेवाओं के जरिए अंजाम दिया गया जिनमें सीधे कॉल करने की जरूरत नहीं रहती। ऐसा लगता है कि उन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले अन्य अपराधियों का भी सक्रिय साथ प्राप्त था।
मौजूदा गिरफ्तारी उस मामले के तहत हुई है जिसमें डीजीजीआई, जीजेडयू पहले भी एक व्यक्ति श्री कबीर कुमार को हवाई अड्डे से उस समय गिरफ्तार कर चुकी है जब वह शहर छोड़कर भागने की तैयारी में था। उसे 527 करोड़ रुपये की आईटीसी धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया था।
उपलब्ध प्रमाणों और रिकॉर्ड किए गए बयानों के आधार पर पता चला है कि देश में बहुत से अज्ञात लोगों के पैन और आधार कार्डों के आधार पर सैकड़ों फर्जी कंपनियां बनाई गई हैं। इन लोगों के आंकड़े एक अलग सिंडिकेट के पास रखे हुए हैं। पता चला है कि इन फर्जी कंपनियों ने 4814 करोड़ रुपये के फर्जी इन्वॉइस तैयार किए थे। अत: इन आरोपियों को 08.03.2021 को गिरफ्तार कर ड्यूटी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया। जिन्होंने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में दे दिया।
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