दिल्ली/एन.सी.आर.

यूवी तकनीक से होगा कोरोना का खात्मा, संसद पूरी तरह सुरक्षितः डॉक्टर शेखर माँड़े

नई दिल्‍ली: कोरोना वायरस से निपटने की कठिन चुनौती से निपटने के लिए CSIR ने हाल ही में कोरोना वायरस से बचाव को लेकर अल्ट्रा वायलेट (UV) तकनीक ईजाद की है जो कोरोना वायरस को नष्ट करने में पूरी तरह से सक्षम बताई जा रही है। सीएसआईआर के महानिदेशक डॉक्टर शेखर माँड़े के अनुसार ‘फिलहाल इस […]

नई दिल्‍ली: कोरोना वायरस से निपटने की कठिन चुनौती से निपटने के लिए CSIR ने हाल ही में कोरोना वायरस से बचाव को लेकर अल्ट्रा वायलेट (UV) तकनीक ईजाद की है जो कोरोना वायरस को नष्ट करने में पूरी तरह से सक्षम बताई जा रही है। सीएसआईआर के महानिदेशक डॉक्टर शेखर माँड़े के अनुसार ‘फिलहाल इस तकनीक से देश की संसद को फुलप्रूफ किया गया है। जल्द ही इसके जरिये एसी बसों, ट्रेनों के एसी कोच और सिनेमाघरों आदि को भी वायरस से सुरक्षा देने की तैयारी है।

उनके मुताबिक कोरोना वायरस से बचाव का अब तक का सबसे आसान उपाय मास्क और दो गज की दूरी ही है। इस बीच हमने अपनी प्रयोगशाला में इससे बचाव के लिए एक यूवी तकनीक भी खोजी है, जिसमें कोरोना वायरस को पूरी तरह नष्ट कर दिया जाता है। लैब में इसके सफल परीक्षण के बाद अब हम इसे विस्तार देने में जुटे है। संसद के दोनों सदनों (लोकसभा व राज्यसभा) को इस नई यूवी तकनीक से लैस कर दिया गया है। मानसून सत्र में हमने इसे टेस्ट किया था। यह काफी किफायती है। संसद के दोनों सदनों को इस तकनीक से प्रोटेक्ट करने पर लगभग तीन लाख रुपये का खर्च आया है। जबकि एक एसी बस या ट्रेन के एसी कोच को इससे सुरक्षा देने में करीब पंद्रह हजार का ही खर्च आएगा।

 इस तकनीक में एयर कंडीशनर (AC) के साथ एक ऐसा अल्ट्रा वायलट स्कैनर लगाया जाता है, जिसमें एसी से गुजरने वाली हवा इससे स्कैन होकर निकलती है। ऐसे में इस हवा में यदि कोरोना वायरस होगा तो वह तुंरत नष्ट हो जाएगा। इस तकनीक से लैस हाल या कक्ष में यदि कोई संक्रमित व्यक्ति वहां पहुंच भी जाता है, तो उसके द्वारा संक्रमण नहीं फैल पाता। रही बात घरों में इसके इस्तेमाल की तो अब तक प्रयोग में यह घरों में उतना उपयोगी नहीं पाया गया है। इसका बेहतर उपयोग उन स्थानों पर ज्यादा हो सकता है, जहां एक साथ करीब दर्जन भर लोग मौजूद रहते हैं या फिर वहां आने जाने वाले की संख्या ज्यादा रहती है। जैसे मीटिंग  हाल, आफिस आदि।

Comment here