रायगढ़: शासन द्वारा ट्रायफेड एवं छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के सहयोग से 52 प्र्रकार के लघु वनोपज का समर्थन मूल्य निर्धारित कर वन धन योजना से संग्रहण एवं लघु वनोपज का प्रसंस्करण किया जा रहा है। जिसका सीधा लाभ वनांचल में रहने वाले लोग एवं स्व-सहायता समूह को होता दिखाई दे रहा है। वन परिक्षेत्र बाकारूमा अंतर्गत वन-धन विकास केन्द्र कड़ेना के प्रभारी सरस्वती स्व-सहायता समूह एवं संलग्न अन्य 11 स्व-सहायता समूह द्वारा सबई घास से टोकरी एवं कोस्टर निर्माण का कार्य किया जा रहा है। जिससे समूह की महिलाओं को रोजगार के साथ ही अतिरिक्त आय का जरिया मिला है। इस कार्य से होने वाले आर्थिक लाभ से समूह की महिलाएं खुश है। महिलाओं द्वारा अब तक 32 क्विंटल सबई घास का प्रसंस्करण किया जा चुका है। जिसका मूल्य 8 लाख 5 हजार से अधिक है।
इस कार्य को जिला यूनियन स्तर पर उडिसा से मयुरबंज के 02 मास्टर ट्रेनर के द्वारा 30 दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें 100 सदस्य टोकरी एवं कोस्टर निर्माण कार्य में कौशल प्राप्त किए। उक्त प्रशिक्षण में सबसे अच्छी टोकरी निर्माण करने वाले 10 हितग्राहियों को मास्टर ट्रेनर का जिला यूनियन स्तर पर चयनित किया गया है। इसके द्वारा ग्राम स्तर पर 550 हितग्राहियों को टोकरी निर्माण कार्य का प्रशिक्षण दिया गया है। जिसमें से वर्तमान में घर पर ही अंशकालिक कार्य कर सबई घास संग्रहण कर प्रसंस्कृत कर 280 हितग्राहियों के द्वारा सबई रस्सी, टोकरी एवं कोस्टर निर्माण कर 2500 से 3000 रूपए प्रति माह अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे। समूह के द्वारा निर्मित सबई घास से टोकरी को शासन स्तर पर मंत्रीमंडल को उपहार स्वरूप भेजा गया। जिससे समूह द्वारा दूगनी उत्साह से कार्य किया जा रहा है। भारत सरकार के जनजातिय मंत्रालय द्वारा सरस्वती स्व-सहायता समूह कडेना को पुरस्कृत कर वन धन के महिला स्व-सहायता को प्रोत्साहन मिला। सबई घास की टोकरी निर्माण से अतिरिक्त आय के फलस्वरूप समूह के जीवन स्तर में आर्थिक सुधार आया है।
वन विभाग वनमंडल धरमजयगढ़ अन्तर्गत वनांचल में रहने वाले लोगो को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए वन धन योजना अंतर्गत लघु वनोपज खरीदी वर्ष 2021 के कोरोना काल में संपादित किया गया। जिसमें ग्रामीणों द्वारा वन से वनोपज संग्रहण कर प्राथमिक वनोपज समिति का स्व-सहायता समूह के माध्यम से ब्रिकी कर सीधा लाभ प्राप्त किया गया। वहीं जिला यूनियन धरमजयगढ़ द्वारा सवई घास से टोकरी एवं कोस्टर अतिरिक्त अन्य उत्पाद तैयार करने तथा उत्पादन आधारित प्रशिक्षण करने की रणनीति तैयार की जा रही है। जिससे सबई घास प्रसंस्करण को बढ़ावा देकर 300-350 हितग्राहियों को लाभ दिया जा सके।