छत्तीसगढ़

कलेक्टर कावरे के प्रोत्साहन से मनरेगा में मजदूरों के संख्या में हुई वृद्धि

जशपुरनगर: कलेक्टर महादेव कावरे के मार्गदर्शन एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री के.एस.मण्डावी के दिशा-निर्देश में जशपुर जिले के विभिन्न विकासखण्डों में ग्रामीणों को मनरेगा के तहत् रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। मनरेगा योजनांतर्गत आज जिले में कुल 87177 ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। जिसके अतंर्गत् विकास खण्ड बगीचा में 22763, […]

जशपुरनगर: कलेक्टर महादेव कावरे के मार्गदर्शन एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री के.एस.मण्डावी के दिशा-निर्देश में जशपुर जिले के विभिन्न विकासखण्डों में ग्रामीणों को मनरेगा के तहत् रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। मनरेगा योजनांतर्गत आज जिले में कुल 87177 ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। जिसके अतंर्गत् विकास खण्ड बगीचा में 22763, दुलदुला में 5672, जशपुर में 8727, कांसाबेल में 10335, कुनकुरी में 10516, मनोरा में 9764, पत्थलगांव में 8748, एवं फरसाबहार में 10652 ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। जिला प्रशासन का उद्देश्य मनरेगा के माध्यम से स्थानीय लोगो को उनके निवास के पास ही रोजगार मिले और उन्हें कार्य के लिए अनावश्यक न भटकना पडे। जिले में 1 लाख मजदूरों को रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित है जिसे प्राप्त करने के लिए जिला प्रशासन सतत प्रयासरत है।

उल्लेखनीय है कि कलेक्टर कावरे द्वारा जिले के सभी विकास खण्डों में पंचायत सचिवों को मनरेगा के तहत अधिक से अधिक रोजगार मूलक कार्य स्वीकृत कर ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। उन्होंने सभी पंचायत स्तरीय अधिकारियों को विभिन्न योजनओं की जानकारी देकर मनरेगा में ज्यादा से ज्यादा परिवारों को 100 दिवस का रोजगार एवं वन अधिकार पत्रधारी परिवारों को 200 दिवस का रोजगार प्रदान करने के लिए निर्देशित किए है। साथ ही कलेक्टर द्वारा सभी सरपंच-सचिवों को पिछले वित्तीय वर्ष के लंबित कार्यो एवं इस वर्ष के स्वीकृत कार्यो में मजदूरों की संख्या बढ़ाने एवं कार्य को तेजी से पूर्ण करने की हिदायत दी गई। सभी सचिव, सरपंच, अपने पंचायतों में डबरी, तालाब निर्माण,  तालाब गहरीकरण, कुआं निर्माण, भूमि समतलीकरण, नरवा विकास, सामुदायिक शौचालय, बोल्डर डेम, ब्रशहुड, चेक डेम, ग्रेबियन पुल सहित अन्य कार्य स्वीकृत कर लोगों को काम उपलब्ध करा रहे है। जिसके फलस्वरूप मनरेगा कार्यो में मजदूरों की संख्या में वृद्धि हुई है।

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