छत्तीसगढ़

आदिवासी लोकनर्तकों के मांदर और ढोल के थाप से गुंजा चित्रकोट का जलप्रपात

जगदलपुर: चित्रकोट महोत्सव के दूसरे दिन बुधवार को बस्तर जिले के दरभा बस्तर और बास्तानार विकाखण्ड के साथ ही सुकमा जिले के मिसमा, कोंडागांव जिले के किवई बालेंगा और बीजापुर जिले के अम्बेली के लोक नर्तकों ने समां बांधा। चित्रकोट का जलप्रपात इस दौरान आदिवासी लोकनर्तकों के मांदर और ढोल की थाप से गुंज उठा। […]

जगदलपुर: चित्रकोट महोत्सव के दूसरे दिन बुधवार को बस्तर जिले के दरभा बस्तर और बास्तानार विकाखण्ड के साथ ही सुकमा जिले के मिसमा, कोंडागांव जिले के किवई बालेंगा और बीजापुर जिले के अम्बेली के लोक नर्तकों ने समां बांधा। चित्रकोट का जलप्रपात इस दौरान आदिवासी लोकनर्तकों के मांदर और ढोल की थाप से गुंज उठा।

इंद्रावती नदी के तट पर चित्रकोट जलप्रपात के समीप सुकमा जिले के कोंटा विकासखण्ड के ग्राम मिसमा के लोक नर्तकों ने कोया नाच, कोंडागांव जिले के किवई बालेंगा के लोक नर्तकों ने माटी मांदरी लोक नृत्य, बीजापुर जिले के अम्बेली के लोक नर्तकों ने चढंगा लोकनृत्य प्रस्तुत किया। इसके साथ ही बस्तर जिले के दरभा विकासखण्ड के लोकनर्तकों ने धुरवा मंडई नाच, बस्तर विकासखण्ड के लोकनर्तकों ने गेड़ी नृत्य तथा बास्तानार विकासखण्ड के बड़े किलेपाल के लोकनर्तकों ने गौर न्त्य का प्रदर्शन किया। इसके साथ ही यहां नुपूर संजना दान और विधि मंडावी ने एकल नृत्य व भरत गंगादित्य द्वारा लाला जगदलपुरी के स्थानीय बोली के गीत-संगीत, शुभम मित्तल के द्वारा शास्त्रीय व सूफी बालीवुड गीतों की प्रस्तुति दी गई, दिलीप षडंगी द्वारा छत्तीसगढ़ी गीतों की प्रस्तुति के साथ ही कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया।

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