रायपुर: दूरस्थ वनांचल क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं से लाभान्वित लोगों को धनराशि उपलब्ध कराने में बैंक सखियां अहम भूमिका निभा रही है। यह उनकी आजीविका का एक सशक्त माध्यम भी बन गया है। कोरिया जिले की श्रीमती रनिया अपनी मेहनत और लगन के दम पर बैंक वाली दीदी के नाम से मशहूर हो गई है। इस काम से वह प्रतिमाह 10 से 12 हजार रूपए कमा लेती है। आज से दो वर्ष पहले एक किसान परिवार में बहू बनकर आई गृहणी श्रीमती रानिया का यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था। लेकिन कुछ करने की ललक से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के तहत समूह में जुड़ गई।
उन्होने बिहान के माध्यम से आरसेटी में अपना आवासीय प्रशिक्षण पूरा कर बीसी सखी का कार्य प्रारंभ किया। वह अब कोरिया जिले के वनांचल सोनहत के ग्राम पंचायत पोंड़ी, सलगंवाकला और सोनहत सहित आस पास के गांवों में श्रमिकों को शासन की योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास, बीमा सुरक्षा योजना, किसान सम्मान निधि, गोधन न्याय योजना आदि से जुड़ने के लिए बैंक खाते खोलने, मनरेगा के श्रमिकों को भुगतान पाने सहित वृद्धों को पेंशन देने की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है। श्रीमती रनिया बताती है कि महिला होने के कारण दूर-दूर तक जाना और फिर ग्रामीणों में विश्वास जगाना और उनसे व्यवसाय करना कड़ी चुनौती थी। इसके लिए बिहान के टीम ने उनकी काफी मदद की और उनके समूह के साथ ग्राम संगठन और क्लस्टर संगठन की टीम के सदस्यों ने गांवों में जाकर प्रचार प्रसार और बैंकिंग से जुड़ी सहूलियत के बारे में आम जन को जागरूक किया। धीरे धीरे उनके कार्य से आम जन जुड़ने लगे।
श्रीमती रनिया ने बताया कि वह तीन चार गांवों में प्रति माह लगभग 23 से 25 लाख रूपए तक का बैंकिंग लेन-देन का कार्य करने लगी हैं। इससे उन्हंे प्रतिमाह में 11 से 12 हजार रूपए की कमाई हो जाती है। श्रीमती रनिया कहती हैं कि गरीब और दिव्यांगों की पेंशन देने जैसे काम से उन्हें संतोष मिलता है। विदित हो कि कोरिया जिले में बिहान के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों में सहज बैंकिंग की सुविधा प्रदान करने के लिए 40 से ज्यादा बीसीसखी नियुक्त की गई हैं। जो गांव में जाकर हितग्राहियों को आसान बैंकिंग के माध्यम से सुविधाएं प्रदान कर रही हैं।
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