छत्तीसगढ़

‘अंगना म शिक्षा’ कार्यक्रम को नये स्वरूप में प्रारंभ करने की तैयारी, मंत्री डॉ. टेकाम ने वेबीनार को किया संबोधित

रायपुर: राज्य में छोटे बच्चों को घर पर रहकर उनकी माताओं के माध्यम से सीखने के अवसर देने के लिए लगभग 400 महिला शिक्षिकाओं द्वारा ‘अंगना म शिक्षा’ कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी। कोरोना संक्रमण की वजह से इस कार्यक्रम में थोड़ी सी रूकावट आयी। इसे अब पुनः एक नये स्वरूप में प्रारंभ करने […]

रायपुर: राज्य में छोटे बच्चों को घर पर रहकर उनकी माताओं के माध्यम से सीखने के अवसर देने के लिए लगभग 400 महिला शिक्षिकाओं द्वारा ‘अंगना म शिक्षा’ कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी। कोरोना संक्रमण की वजह से इस कार्यक्रम में थोड़ी सी रूकावट आयी। इसे अब पुनः एक नये स्वरूप में प्रारंभ करने की दिशा में पहल की जा रही है। भारत सरकार द्वारा जारी निपुण भारत अभियान के तहत निर्धारित लक्ष्यों को ध्यान में रखकर 5 वर्ष से लेकर 8 वर्ष तक के बच्चों को बाल बाटिका से लेकर कक्षा 3 के बच्चों के लिए इस कार्यक्रम को राज्य में माताओं के सक्रिय सहभागिता के साथ लॉन्च किया जा रहा है।

स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने अपने निवास कार्यालय से वेबीनार के माध्यम से इसके प्रथम चरण की तैयारी के लिए कार्यक्रम के स्रोत व्यक्तियों को संबोधित किया। उन्होंने कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना के आधार पर शिक्षिकाओं द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। डॉ. टेकाम ने इसे अगले लॉकडाउन के दौरान छोटे बच्चों को घर पर रहकर उनकी माताओं द्वारा सिखाने के लिए तैयार करने की एक अभिनव पहल बताया।

वेबीनार के प्रारंभ में समग्र शिक्षा के सहायक संचालक डॉ. एम. सुधीश द्वारा ‘अंगना म शिक्षा’ कार्यक्रम के साथ आगामी निपुण भारत कार्यक्रम और उसके निर्धारित लक्ष्यों की जानकारी दी। वेबीनार में बिलासपुर की सुश्री सीमा मिश्रा ने कार्यक्रम की डिजाइन और रणनीति को साझा किया। गौरव शर्मा ने नवीन कार्यक्रम को कोरोना अपनी सुरक्षा एवं उसके माध्यम से पालकों और बच्चों के साथ आगामी कुछ दिनों में किए जाने वाले कार्यों से अवगत कराया। श्री ऋषि पाण्डेय ने माताओं को टेलीग्राफ के माध्यम से विभिन्न जानकारियों को साझा करने के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। श्री आशीष गौतम ने कार्यक्रम का संचालन किया।

इस कार्यक्रम से संबंधित राज्य स्तरीय वेबीनार 19 जुलाई को आयोजित किया जाएगा, जिसमें प्रत्येक जिले से चयनित 10-10 स्रोत व्यक्तियों और विकासखंड स्तरीय स्रोत व्यक्तियों का उन्मुखीकरण किया जाएगा। इनके माध्यम से माताओं और शाला प्रबंधन समिति का प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा।

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