रायपुर: गांव, ग्रामीणों और किसानों की आर्थिक स्थिति एवं जीवन स्तर में बदलाव लाने की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सोच का सार्थक परिणाम अब सुराजी गांव योजना के चारों घटक नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम के जरिए दिखने लगा है। गांवों में वर्षा जल के संरक्षण के लिए संचालित नरवा (नालों) का उपचार, गौवंश के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए संचालित गरूवा कार्यक्रम के अंतर्गत गांवों में गौठानों का निर्माण, गोबर की खरीदी और आजीविका मूलक गतिविधियों का वृहद पैमाने पर संचालन, घुरूवा कार्यक्रम के अंतर्गत वर्मी एवं सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन तथा बाड़ी विकास के अंतर्गत ग्रामीणों एवं किसानों की घरों की बाड़ियों के साथ-साथ सामुदायिक बाड़ियों के जरिए फल और सब्जी उत्पादन बढ़ावा मिलने लगा है।
सुराजी गांव योजना से बाड़ी विकास कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य के 146 विकासखण्डों की 5531 ग्राम पंचायतों में ग्रामीणों एवं किसानों के यहां कुल 2,00,013 बाड़ियों का विकास किया गया है। उद्यानिकी विभाग द्वारा बाड़ियों के विकास के लिए लाभान्वित ग्रामीणों एवं किसानों को उन्नत किस्म के सब्जी बीज एवं पौधे, फलदार पेड़ बाड़ियों में रोपण के लिए उपलब्ध कराए जाने के साथ ही उन्हें इसके लिए आवश्यक मार्गदर्शन एवं आदान सहायता उपलब्ध कराई गई है। सुराजी गांव योजना के अंतर्गत निर्मित गौठानों में भी सब्जी एवं फल के उत्पादन के लिए 990 सामुदायिक बाड़ियां स्थापित की गई है। इसके जरिए महिला समूह वृहद मात्रा में सब्जी एवं फल का उत्पादन एवं विक्रय कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने लगे हैं।
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