छत्तीसगढ़

महीडबरा जलाशय में सिंचाई क्षमता का विस्तार, 1800 मीटर नहर बढ़ाई गई

कवर्धा: कबीरधाम जिले के आदिवासी एवं बैगा बाहुल्य पंडरिया के विकासखंड सुदूर वनांचल क्षेत्र के महीडबरा जलाशय में लगभग एक हजार आठ सौ मीटर मुख्य नहर और माइनर नहर का निर्माण किया गया है। मुख्य नहर की लंबाई बढ़ाने से महीडबरा के लगभग 80 किसानों को अब सीधे तौर पर सिंचाई के लिए पानी नहर […]

कवर्धा: कबीरधाम जिले के आदिवासी एवं बैगा बाहुल्य पंडरिया के विकासखंड सुदूर वनांचल क्षेत्र के महीडबरा जलाशय में लगभग एक हजार आठ सौ मीटर मुख्य नहर और माइनर नहर का निर्माण किया गया है। मुख्य नहर की लंबाई बढ़ाने से महीडबरा के लगभग 80 किसानों को अब सीधे तौर पर सिंचाई के लिए पानी नहर से मिलने लगा है । इससे लगभग 75 हेक्टेयर खेती जमीन के लिए सिंचाई क्षमता का विस्तार किया गया है। किसानों की  यह बरसों पुरानी मांग थी।  नहर विस्तारीकरण होने से किसानों के रौनक लौट आई है। नहर विस्तारीकरण के कार्य से अब गांव में किसानों को सिर्फ वर्षा ऋत पर निर्भर होने की आवश्यकता नहीं होगी।

नहर विस्तारीकरण का कार्य मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी सुराजी गाँव योजना से जोड़ते हुए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के द्वारा वित्तीय वर्ष 2020 – 21 में 14 लाख 6 हजार रुपए की लागत से कार्य स्वीकृत किया गया। इस कार्य में 12 लाख 26 हजार रुपये मजदूरी पर एवं 2 लाख 40 हजार रुपये सामग्री पर व्यय होना प्रस्तावित किया गया। जल संसाधन विभाग के द्वारा कराए गए इस कार्य से महीडबरा के 80 कृषकों को अब सीधे तौर पर सिंचाई के लिए पानी नहर से मिलने लगा है ।

ग्रामीणों ने अपनी स्वेच्छा से आगे आकर नहर के लिए जमीन दी

उल्लेखनीय है कि नहर विस्तारीकरण के इस कार्य में सहयोग देते हुए बहुत से कृषको द्वारा अपनी निजी जमीन को स्वेच्छा से नहर लाइन के कार्य हेतु प्रदान कर दिया गया तथा कार्य पूरा होते ही इसके सुखद परिणाम ग्रामीणों को मिलने लगा हैं। जो ग्रामीण पहले पानी के आभाव में केवल खरीफ की फसलें ले पाते थे वे ग्रामीण परिवार अब रबी की फसल भी ले रहे हैं और अपनी आमदनी बढ़ा रहे है।

कहते हैं कि हमारा भारत गांव में ही बसता है और ग्रामीणों का मुख्य कार्य कृषि  होता है जो उनके जीवन यापन का मुख्य जरिया है। साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य को धान का कटोरा होने की भी संज्ञा दी जाती है,क्योंकि राज्य की अधिकांश जनता ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हुए खेती-किसानी कर फसल (धान) उत्पादन करना ही इनका मुख्य पेशा होता है। खेती किसानी के लिए किसान या यूं कहें अन्नदाता को पानी के लिए वर्षा ऋतु पर निर्भर होना पड़ता हैं। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रदेश में चलाए जा रहे सुराजी गांव योजना के तहत नरवा अभियान का मुख्य उद्देश् किसानों की निर्भरता वर्षा ऋतु में काम करते हुए उन्हें सिंचाई के अन्य साधनों से जोड़ना है। जिससे कि वर्ष भर खेती-किसानी के लिए पर्याप्त पानी की व्यवस्था हो सके। शासन की मंशा अनुरूप कबीरधाम जिले में जल संरक्षण के साथ जल स्रोतों का विस्तारीकरण की दिशा में निरंतर नए कार्य कराए जा रहे हैं। एक ओर नरवा अभियान के तहत जिले के अलग-अलग स्थानों में बहने वाले नालों का पुनरूत्थान कर उसे फिर से उपयोगी के लिए बनाया जा रहा है तो इसके साथ ही जिन स्थानों में नालो की व्यवस्था नहीं है वहां पर अन्य विभागीय योजनाओं से पानी के साधन ग्रामीणों तक पहुंचाए जा रहे हैं।

रोजगार गारंटी योजना से हुए कार्य और उसके लाभ पर एक नजर

कार्यों के संबंध में जानकारी देते हुए कार्यपालन अभियंता जल संसाधन विभाग संभाग कवर्धा श्री दिनेश भगोरिया बताते हैं कि ग्रामीणों ने खेती- किसानी के लिए पानी को लेकर अपनी समस्या साझा की थी । इसे देखते हुए महात्मा गांधी नरेगा योजना से महीडाबर जलाशय से मुख्य नहर विस्तारीकरण और माइनर नहर निर्माण कार्य स्वीकृत कराया क्या ।1800 मीटर में हुए इस कार्य से 12 सप्ताह तक कार्य चला जिसमे 6403 मानव दिवस रोजगार का सृजन हुआ। इस कार्य मे  10 लाख 31 हजार रुपए मजदूरी पर  तथा 2 लाख 39 हजार रुपए सामग्री पर खर्च हुआ । कार्य में औसतन 1455 पंजीकृत श्रमिकों को  रोजगार का अवसर लॉकडाउन के दौरान मिला ।

नहर निर्माण से 75 हेक्टर क्षेत्र में होगा सिंचाई सुविधा का विस्तारःसीईओ जिला पंचायत

मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कबीरधाम विजय दयाराम के. ने बताया कि महीडबरा जलाशय में जल संसाधन विभाग के माध्यम से ग्रामीणों की मांग को पूरा करते हुए मुख्य नहर विस्तारीकरण एवं माइनर नहर निर्माण कार्य कराया गया। इसी वर्ष फरवरी महा से प्रारंभ हुआ या कार्य  अप्रैल महा के अंत में पूर्ण हुआ। इस कार्य के पूरा हो जाने से महीडबरा के 80 कृषक परिवारों को कृषि कार्य हेतु पानी की उपलब्धता सुगम हो गई है। महीडबरा में जहां पहले किसान पानी के अभाव में खरीफ के सीजन में कोदो कुटकी लेते थे वे अब रबी की फसल लेने लगे हैं । सुराजी गांव योजना के तहत किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के दृष्टिकोण से जल स्रोतों का पुनर उपचार कर आवश्यकतानुसार नए संरचनाओं का निर्माण हो रहा है। इसी क्रम में रोजगार गारंटी योजना से हुए इस कार्य में 75 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधाओं का विस्तार होगा जो कृषिकों के आमदनी को बढ़ाने में सहायक होगा।

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