छत्तीसगढ़

सोलर पावर ड्रायर से जमधर सोढ़ी के बीज उत्पादन में बीज की गुणवत्ता में हुई वृद्धि

कोण्डागांव: जमधर सोढ़ी विकास खण्ड कोण्डागांव के छोटे से ग्राम चलका में रहने वाले एक लघु श्रेणी के प्रगतिशील कृषक है। जमधर पिछले 3 सालों से बीज उत्पादन का कार्य करते आ रहे है। जिसमें वे करेला, बरबटी, खीरा, शिमला मिर्च, फसलों का बीज उत्पादन करते आ रहे है। पहले वह बीज के परिवक्वता पश्चात […]

कोण्डागांव: जमधर सोढ़ी विकास खण्ड कोण्डागांव के छोटे से ग्राम चलका में रहने वाले एक लघु श्रेणी के प्रगतिशील कृषक है। जमधर पिछले 3 सालों से बीज उत्पादन का कार्य करते आ रहे है। जिसमें वे करेला, बरबटी, खीरा, शिमला मिर्च, फसलों का बीज उत्पादन करते आ रहे है। पहले वह बीज के परिवक्वता पश्चात फसल की कटाई करके बीजों में नमी मात्रा के निर्देशानुसार बनाये रखने हेतु बीजों को धुप मे सुखातें थे। जिससे बीजों में अनियमितता बनी रहती थी एवं चिडियों, पशुओं के खतरे से बीजों को क्षति पहुचती थी तथा बीज की गुणवत्ता एवं चमक चली जाती थी। जिसमें ग्रेडिग पश्चात् भारी मात्रा में (लगभग 15-20 प्रतिशत)  हानि उठानी पड़ती थी लेकिन उद्यान विभाग द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन अंतर्गत वर्ष 2018 – 19 में सोलर पावर ड्रायर 50 प्रतिशत अनुदान पर रामधर को प्रदाय किया गया। जिसके लगातार उपयोग से बीजों में समानता, चमक एवं कम मेेहनत से बीजों कों मानक अनुसार सूखाकर बीजों कों बैंगिग कर  कम्पनी मे भेजने की सुविधा प्राप्त हुई। जिससे ग्रेडिग में होने वाली हानि बहुत कम हो गयी है। यह मशीन सोलर एवं विद्युत दोनो से चलती है, जिससे गर्मी के दिनों में सूर्य के प्रकाश एवं खराब मौसम की स्थिति में एक कमरे में सफलतापूर्वक उपयोग किया जा सकता है।

जमधर सोढ़ी ने कहा कि उद्यानिकी विभाग के अधिकारी लोकेश्वर प्रसाद ध्रुव द्वारा मुझे समय-समय पर योजनाओं के संबंध में जानकारी एवं सफल उद्यानिकी क्रियाविधियो के बारे मे  निरंतर जानकारी प्राप्त होती रहती है  जिसमें सब्जीय वर्गीय फसलो के बीज उत्पादन में अधिकाधिक लाभ प्राप्त हो रहा है। साथ ही उद्यानिकी फसलों एवं बीजों के उत्पादन एवं प्रसंसकरण के लिये नियमित प्रशिक्षण से महत्वपूर्ण जानकारी मिलती रही है। इस प्रकार विभाग के मदद से हमारा आय बढ़ रहा है, जो की हमे नये तकनीकों को अपनानें एवं उद्यानिकी फसलों के उत्पादन करने के लिए हमारा मनोबल बढ़ा है।

इस संबंध में लोकेश्वर प्रसाद ध्रुव ने बताया कि पूर्व में पारम्परिक कृषि से वर्ष में अपने 3.5 एकड़ खेत से केवल जीवन निर्वहन हेतु पैसे जमा कर पाते थे परंतु बीज उत्पादन से जुड़ने के पश्चात विभाग द्वारा प्रदत्त सोलर पावर ड्रायर की सहायता से प्रति एकड़ वर्ष में 4 क्विंटल बीज का उत्पादन करेला फसल से कर रहे है जिससे उन्हें वार्षिक रूप से शुद्ध रूप से 4,00,000/-  रूपयों की आमदनी प्राप्त हो रहा है। ड्रायर प्राप्ति के पूर्व 1 एकड़ में करेला फसल से केवल 160 किलो ग्राम बीजों का उत्पादन छमाही मे संभव हो पाता था जबकि ड्रायर प्राप्त होने से अब प्रति एकड़ 210 से 220 किलो ग्राम तक बीज  प्रति छमाही  उत्पादन हो राहा है।

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