छत्तीसगढ़

हरिबोल महिला समूह ने वन क्षेत्रों में सफलता का मील का पत्थर स्थापित किया

रायपुरः हरिबोल ’महिला स्व-सहायता समूह औषधीय जड़ी-बूटी प्रसंस्करण केंद्र डोंगानला से अच्छी आय अर्जित कर रहा है, जो वन क्षेत्र में सफलता का एक मील का पत्थर है। इस केंद्र से, हरिबोल महिला समूह हर साल लगभग 7 लाख रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित कर रहा है। डोंगानाला का यह औषधीय जड़ी बूटी प्रसंस्करण केंद्र […]

रायपुरः हरिबोल ’महिला स्व-सहायता समूह औषधीय जड़ी-बूटी प्रसंस्करण केंद्र डोंगानला से अच्छी आय अर्जित कर रहा है, जो वन क्षेत्र में सफलता का एक मील का पत्थर है। इस केंद्र से, हरिबोल महिला समूह हर साल लगभग 7 लाख रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित कर रहा है। डोंगानाला का यह औषधीय जड़ी बूटी प्रसंस्करण केंद्र कटघोरा वन प्रभाग के अंतर्गत पाली जोन का एक सक्रिय केंद्र है। समूह की सचिव सरोज पटेल बताती हैं कि उनके प्रसंस्करण केंद्र में कुल 18 प्रकार की जड़ी-बूटियों का प्रसंस्करण किया जाता है। उसने बताया कि त्रिफला आमलकी चूर्ण, अश्वगंधादि, शीतलोपदि और पंचसम चूर्ण जैसी जड़ी-बूटियाँ अधिकतर माँग में हैं।

केंद्र के वार्षिक टर्न ओवर के बारे में, पटेल कहती हैं कि यदि हमें एक अच्छा बाजार खुलता है, तो हम एक साल में 25 लाख रुपये तक की हर्बल दवाओं का व्यापार करते हैं। वर्ष 2018-19 में, इस व्यवसाय की राशि लगभग 20 लाख रुपये थी। राज्य सरकार की पहल के तहत लघु वनोपजों के संग्रहण और प्रसंस्करण के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं के कारण यह पूरा अभियान संभव हो पाया।

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