रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने गोधन के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण कराकर और गोधन न्याय योजना की शुरूआत कर एक साथ कई लक्ष्य साधे है। गोधन न्याय योजना के जरिए गौठानों में दो रूपए किलो में गोबर की खरीदी करके इससे वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट एवं अन्य उत्पाद के निर्माण और गोबर से विद्युत उत्पादन के बाद अब छत्तीसगढ़ इससे प्राकृतिक पेंट निर्माण की शुरूआत करने जा रहा है। गोधन न्याय योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिली है। गांवों में रोजगार के अवसर बढ़े है। ग्रामीणों, पशुपालकों एवं महिला समूहों को आय का अतिरिक्त जरिया मिला है। गौठान और गोधन न्याय योजना गांव की ताकत बन गए हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज यहां अपने निवास कार्यालय में गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण की तकनीकी हस्तांतरण के लिए एमओयू कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा, छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. महंत रामसुंदर दास, गौ सेवा आयोग के सदस्यगण, मुख्यमंत्री के अपर सचिव श्री सुब्रत साहू, वित्त विभाग की सचिव श्रीमती अलरमेलमंगई डी., गोधन न्याय मिशन के प्रबंध संचालक डॉ. एस. भारती दासन, सूक्ष्म लघु एवं उद्यम मंत्रालय भारत सरकार के खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के राज्य निदेशक श्री बद्रीलाल मीना, संचालक डॉ. अजय कुमार सिंह, उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री ओम प्रकाश सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्यमंत्री श्री बघेल की उपस्थिति में कुमाराप्पा नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट जयपुर, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय नयी दिल्ली और छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के मध्य गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण की तकनीकी हस्तांतरण के लिए विधिवत हस्ताक्षर किया गया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस मौके पर राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. महंत रामसुंदर दास सहित सभी सदस्यगणों तथा कुमाराप्पा नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट जयपुर, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय नयी दिल्ली के पदाधिकारियों को बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना की शुरुआत 20 जुलाई 2020 को हरेली तिहार के दिन से की गई थी। इस योजना की शुरुआत करते हुए मैंने कहा था कि यह योजना हमारे लिए वरदान साबित होगी। हम इस योजना के माध्यम से एक साथ बहुत सारे लक्ष्य हासिल करेंगे। बहुत थोड़े से समय में ही मेरी वह बात सच साबित हो चुकी है। आज गोधन न्याय योजना हमारे गांवों की ताकत बन चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से पूरे देश में छत्तीसगढ़ को नयी पहचान मिली है। हमारी इस योजना को दूसरे राज्य भी अपनाना चाहते हैं। संसद की कृषि मामलों की स्थायी समिति ने इसे पूरे देश में लागू करने की मांग केंद्र सरकार से की है। गौठानों में जैविक खाद के निर्माण से हमारी खेती में भी बदलाव की शुरुआत हुई। रासायनिक खाद पर हमारी निर्भरता कम हुई। खेती की लागत में कमी आई। हमारे खेत फिर से उपजाऊ होने लगे। स्व सहायता समूहों की हजारों बहनों को जैविक खाद के निर्माण से रोजगार मिला। गौठान समितियों को आमदनी का एक नया जरिया मिला। पशुपालन और डेयरी व्यवसाय को नया जीवन मिला और दूध का उत्पादन भी बढ़ा। छत्तीसगढ़ में श्वेत-क्रांति की नयी शुरुआत हुई। इसी गोबर से हमारी बहनों ने दीये और तरह-तरह के चीजें बनाकर त्यौहारी-बाजार में भी अपने लिए जगह बनाई।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि 02 अक्टूबर 2021 से हमने गोबर से बिजली बनाने की शुरुआत की। बेमेतरा, दुर्ग और रायपुर जिले के तीन गोठानों में सफलता के साथ बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। अब गोबर से बिजली और जैविक खाद दोनों एक साथ बन रहे हैं। प्रदेश के अन्य गोठानों में भी बिजली उत्पादन की तैयारी की जा रही है। गौठानों में तैयार हो रही सस्ती बिजली से गौठानों में रौशनी होगी। मशीनें चलाई जाएंगी। आस-पास के घरों को भी रौशन किया जा सकेगा। समूहों द्वारा यह बिजली सरकार को भी बेची जा सकेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना के लिए आज का दिन भी बहुत अहम है। आज से हम एक और बड़े काम की शुरुआत करने जा रहे हैं। अब गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट भी बनाया जाएगा। इससे गौठानों को हर साल 45 करोड़ रुपए की आय होने का अनुमान है। इस काम की शुरुआत 75 गौठानों से की जा रही है। प्राकृतिक पेंट की तकनीकी हस्तांतरण के लिए आज गौ सेवा आयोग, कुमारप्पा नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट जयपुर, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग और सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय नई दिल्ली के बीच एमओयू हुआ है। चयनित किए गए गौठानों में कार्बाेक्सी मिथाइल सेल्यूलोज (सीएमसी) निर्माण ईकाई एवं पेंट निर्माण ईकाई के लिए पहल शुरु कर दी गई है। इन ईकाइयों से प्रतिदिन 500 लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन होगा। पहले चरण में प्रतिवर्ष 37.50 लाख लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन होने की संभावना है। इस समय प्रकृतिक पेंट की कीमत जीएसटी को छोड़कर 120 रुपए प्रति लीटर है। प्राकृतिक पेंट के निर्माण के लिए गौठान से जुड़ी महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं और गांवों के युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस काम की शुरुआत होने से गोधन न्याय योजना और गौठानों के माध्यम से रोजगार और आय का एक और नया जरिया खुल जाएगा। प्राकृतिक पेंट के निर्माण का मुख्य घटक कार्बाेक्सी मिथाईल सेल्यूलोज (सीएससी) होता है। सौ किलो गोबर से लगभग 10 किलो सूखा सीएमसी तैयार होता है। कुल निर्मित पेंट में 30 प्रतिशत मात्रा सीएमसी की होती है। वर्तमान में 25 गौठानों में पेंट निर्माण ईकाई तथा 50 गौठानों में सीएमसी ईकाई स्थापित की जाएगी।
इस अवसर पर कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि गोधन न्याय योजना के, जो सार्थक परिणाम सामने आए हैं, उसकी कल्पना भी नहीं की गई थी। आज राज्य में 11 हजार से अधिक गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है। गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट के निर्माण का ऐतिहासिक काम शुरू करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गोबर धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है। घर-आंगन एवं पूजा स्थल को पवित्र करने के लिए गोबर की लिपाई की परंपरा रही है। अब गोबर से प्राकृतिक पेंट का निर्माण होगा, जिससे पूरे घर की पोताई होगी। उन्होंने गोधन न्याय योजना की परिकल्पना एवं इसके क्रियान्वयन के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का आभार जताते हुए कहा कि इस योजना की सराहना सर्वत्र हो रही है। पार्लियामेंट की स्थाई कृषि समिति ने इसको पूरे देश में लागू करने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य पूरे देश में स्वच्छता का सिरमौर बना है। उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य को स्वच्छता के मामले में लगातार राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत एवं सम्मानित होने के लिए भी मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को बधाई और शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम को डॉ. महंत रामसुंदर दास ने भी सम्बोधित किया और कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने जिस विश्वास और भरोसे के साथ गौ सेवा आयोग को गौठानों से जोड़ा है और प्राकृतिक पेंट के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी है। उस पर आयोग खरा उतरेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से प्राकृतिक पेंट को निर्माण कार्याें के एस.ओ.आर. में शामिल करने का आग्रह किया, ताकि शासकीय भवनों के रंग-रोगन में इसका उपयोग हो सके।
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