छत्तीसगढ़

गरियाबंद जिले में उत्साहपूर्वक सुना गया लोकवाणी

गरियाबंद : गरियाबंद जिले में नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों के साथ आश्रम-छात्रावासों में भी मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का रेडियोवार्ता लोकवाणी उत्साहपूर्वक सुना गया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आकाशवाणी से आज प्रसारित रेडियोवार्ता लोकवाणी की 24वीं कड़ी में ‘‘नवा छत्तीसगढ़ और न्याय के तीन वर्ष’’ विषय पर बात-चीत की शुरूआत जय जोहार के अभिवादन […]


गरियाबंद : गरियाबंद जिले में नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों के साथ आश्रम-छात्रावासों में भी मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का रेडियोवार्ता लोकवाणी उत्साहपूर्वक सुना गया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आकाशवाणी से आज प्रसारित रेडियोवार्ता लोकवाणी की 24वीं कड़ी में ‘‘नवा छत्तीसगढ़ और न्याय के तीन वर्ष’’ विषय पर बात-चीत की शुरूआत जय जोहार के अभिवादन के साथ की। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि इन तीन वर्षों में छत्तीसगढ़ राज्य को अपनी वास्तविक छत्तीसगढ़िया पहचान दिलाते हुए, विकास और न्याय के नए प्रतिमान स्थापित किए गए हैं। इसमें हमारे पुरखों ने छत्तीसगढ़ राज्य के लिए जो सपने देखे थे, वो हमने पूरे किए हैं।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि मेरी तीन साल की सबसे बड़ी सफलता तो यही है कि आप लोग अपने अधिकारों, अवसरों और वास्तविक तरक्की को स्वयं महसूस कर रहे हैं, सच होते देख रहे हैं। खुशी है कि मैं कुछ सार्थक बदलाव करने में सफल हुआ हूं।  आज विकास के छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा पूरे देश और दुनिया में है। छत्तीसगढ़ में लोगों ने तीन साल में हुए बदलावों को न सिर्फ करीब से देखा है, बल्कि उसे अपने जीवन में बेहतरी को महसूस कर रहे हैं। इस तरह हमने ऐसी योजनाएं बनाई, जो वास्तव में आदिवासी अंचल हो व मैदानी क्षेत्र सभी का भला कर सके। लोहंडीगुड़ा में जमीन वापसी के साथ आदिवासियों और किसानों के लिए न्याय का आगाज हुआ। निरस्त वन अधिकार दावों की समीक्षा से हजारों निरस्त व्यक्तिगत दावों को वापस प्रक्रिया में लाया गया। हमें खुशी है कि अब तक 22 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि आदिवासी तथा परंपरागत निवासियों को दी जा चुकी है, जो 5 लाख से अधिक परिवारों के लिए आजीविका का जरिया बन गई है।
छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 2500 से बढ़ाकर 4000 रूपए प्रतिमानक बोरा करना ‘शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना’ लागू करने से वन आश्रित परिवारों की जिंदगी में नई रोशनी आई है। तीन साल पहले सिर्फ 7 वनोपज की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही थी। लेकिन हमने 52 वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की। इतना ही नहीं, 17 लघु वनोपजों के लिए संग्रहण पारिश्रमिक दर अथवा समर्थन मूल्य में अच्छी बढ़ोतरी भी की गई है। इस तरह लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य पर खरीदी करने, प्रसंस्करण करने, इनमें महिला स्व-सहायता समूहों को जोड़ने और आदिवासी समाज के सशक्तीकरण में बड़ी भूमिका निभाने के लिए छत्तीसगढ़ को भारत सरकार ने 25 पुरस्कार प्रदान किए है। इतना ही नहीं बल्कि स्वच्छता के लिए भी तीन साल में छत्तीसगढ़ को लगातार तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है। इस बार छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक 67 नगरीय निकायों को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिला है और एक बार फिर छत्तीसगढ़ को देश के सबसे स्वच्छ राज्य के रूप में मान्यता मिली है।
     मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ मॉडल वास्तव में सहभागिता, समन्वय, सर्वहित, अपनी विरासत का सम्मान करते हुए, सद्भाव के साथ मिलजुलकर आगे बढ़ने के विचार से प्रेरित है ।छत्तीसगढ़ के विकास मॉडल में सबसे बड़ी बात है, एक दूसरे का साथ, चाहे वह योजनाओं के रूप में हो या परस्पर सहयोग के रूप में। उदाहरण के लिए जब हम गांव की बात करते हैं तो किसी एक विभाग या एक योजना की बात नहीं करते। नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी, गोधन न्याय योजना से शुरूआत करते हुए मल्टीयूटीलिटी सेंटर, रूरल इंडस्ट्रियल पार्क और फूडपार्क तक पहुंच जाते है। इन सबका संबंध गांवों और जंगलों के संसाधनों से है। इनका संबंध खेती से भी, वनोपज से भी, परंपरागत कौशल और प्रसंस्करण की नई विधाओं से भी है। कमजोर तबकों को सशक्त करने की बात महात्मा गांधी, नेहरू, शास्त्री, डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, इंदिरा जी, राजीव जी जैसे हमारे सभी महान नेता कहते थे। हमने इसका मर्म पकड़ा और तीन सालों में 80 हजार करोड़ रूपये से अधिक की राशि इन कमजोर तबकों की जेब में डाली। इस तरह स्वावलंबन के भाव से छत्तीसगढ़ के जनजीवन में एक नई ताजगी का संचार हुआ।
मुख्यमंत्री ने बताया हमने अपने राज्य के संसाधनों के राज्य में ही वेल्यूएडीशन को लेकर जब ठोस ढंग से काम शुरू किया तो औद्योगिक विकास में भी रफ्तार पकड़ी। इसके वजह से तीन साल में 1 हजार 751 उद्योग लगे और 32 हजार 192 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला। सरकारी तथा अर्द्धशासकीय कार्यालयों में बहुत से पदों पर तो 20 साल बाद स्थायी भर्ती की गई। जहां स्थायी भर्ती का प्रावधान नहीं था, वहा भी किसी न किसी तरह नौकरी दी गई, जिसे मिलाकर 4 लाख 67 हजार से अधिक नौकरियां दी गई। मनेरगा, स्व-सहायता समूहों, वन प्रबंधन जैसे अनेक क्षेत्रों को कन्वर्जेशन के माध्यम से रोजगार के अवसरों से जोड़ा गया, जिसके कारण 50 लाख से अधिक लोगों की रोजी-रोटी का इंतजाम हुआ। इस तरह हमने अपने महान संविधान द्वारा निरूपित, लोकतांत्रिक मूल्यों और कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को साकार किया। शिक्षा के क्षेत्र में स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल योजना हो या प्रशासन के क्षेत्र में 72 तहसीलों, 7 अनुभागों तथा 5 जिलों के गठन की पहल, इन सबका उद्देश्य समाज के कमजोर तबकों को न्याय दिलाना ही है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हमारा छत्तीसगढ़ मॉडल, समावेशी विकास का ऐसा मॉडल है, जिसके मूल में सद्भाव, करुणा तथा सबकी भागीदारी है। छत्तीसगढ़ ने तीन वर्षों में यह साबित कर दिखाया है कि छत्तीसगढ़ के लोगों को सिर्फ अपने राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे देश में नई और सही सोच के साथ काम करने वाले लोगों के रूप में पहचाना जाएगा। रेडियोवार्ता के दौरान मुख्यमंत्री जी ने प्रशंसकों के सवालों और उनके शंकाओं का समाधान भी किया।

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