छत्तीसगढ़

दन्तेवाड़ा में मत्स्यपालन योजना से बदली लोगों की जिंदगी

दन्तेवाड़ा: कृषक मारो कश्यप पिता लखमा कश्यप कृृषि कार्य के साथ-साथ मछलीपालन का कार्य करता है। जिसके स्वयं की भूमि में 0.40 हेक्टेयर का छोटा सा तालाब है जिसमे मछलीपालन का कार्य करता है। शुरूआत में मछलीपालन की जानकारी नही होने के कारण कृषक को अच्छी आमदनी प्राप्त नही हो रही थी। तालाब में बिना […]

दन्तेवाड़ा: कृषक मारो कश्यप पिता लखमा कश्यप कृृषि कार्य के साथ-साथ मछलीपालन का कार्य करता है। जिसके स्वयं की भूमि में 0.40 हेक्टेयर का छोटा सा तालाब है जिसमे मछलीपालन का कार्य करता है। शुरूआत में मछलीपालन की जानकारी नही होने के कारण कृषक को अच्छी आमदनी प्राप्त नही हो रही थी। तालाब में बिना प्रबंधन तथा बिना आहार दिये 80-100 किलो ग्राम तक मछली प्राप्त कर लेता था जिससे कृषक की आय में वृ़िद्ध नहीं हो पा रही थी।

मछली पालन विभाग के मत्स्य अधिकारी के सम्पर्क पश्चात मछली पालन से सम्बन्धित उन्नत तकनीकों के बारे में जानकारी कृषक को प्राप्त हुआ तथा विभाग से सम्पर्क कर सघन मछली पालन का कार्य किया गया तथा विभाग से सम्बन्धित हितग्राही मूलक योजनाओं जैसे मत्स्याखेट उपकरण, आईस बाक्स, परिपूरक आहार, मत्स्य बीज का लाभ लेने से मत्स्य उत्पादन में वृद्धि हुई। प्रति वर्ष 4 हजार नग फिंगरलिंग संचयन कृषक के द्वारा किया जाता है। तथा परिपूरक आहार और तालाब के समुचित प्रबंधन से मछलीपालन में प्रति वर्ष 10 हजार रूपये तक आमदनी हो रहा है। खेती के साथ मछली पालन का कार्य कर अपने आय वृद्धि से कृषक मारो अब संतुष्ट नजर आते है।  

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