दुर्ग: कमलेश देवांगन पहले मिस्त्री थे। कूलर बनाते थे। अब मालिक हैं कूलर बनवाते हैं। मिस्त्री रहते उनके मन में विचार आया कि थोड़ी सी पूंजी जोड़ लूँ तो मैं भी अपना व्यवसाय आरंभ कर सकता हूँ। अपने हुनर पर भरोसा रखते हुए उन्होंने उद्योग विभाग में उद्यम के लिए आवेदन दे दिया। उद्योग विभाग ने इनका ऋण का प्रस्ताव पीएमईजीपी के अंतर्गत भेज दिया। वर्ष 2018 में उनके 9 लाख रुपए स्वीकृत हुए। इससे उन्होंने कूलर निर्माण के लिए आवश्यक मशीनें खरीदीं। काम शुरू हुआ और अब वे कर्जमुक्त हो चुके हैं। कमलेश ने 8 लोगों को अपने उद्यम में काम भी दिया है। कूलर का काम बहुत ज्यादा सीजनल होता है, अतएव सीजन के समय वे काफी संख्या में अतिरिक्त लोगों को भी रोजगार देते हैं। उन्होंने अपने मामा मनोज देवांगन के साथ यह संयुक्त उपक्रम शुरू किया और नाम रखा मामा भांजा स्टील इंडस्ट्री।
पूरे प्रदेश में करते हैं सप्लाई- कमलेश ने बताया कि वे कूलर की सप्लाई पूरे प्रदेश में करते हैं। इसके लिए काफी श्रम करना पड़ता है। अपने प्रोडक्ट के संबंध में जानकारी बतानी होती है। कमलेश ने बताया कि हमने मुनाफे का मार्जिन काफी कम रखा है ताकि लोग हमारे प्रोडक्ट का उपयोग कर इसकी गुणवत्ता समझ सकें। इस बार लाकडाउन की वजह से बिजनेस कुछ प्रभावित हुआ लेकिन उम्मीद है कि इस सीजन में पूरी तरह से कूलर का बिजनेस रिकवर हो जाएगा।
अब नागपुर जैसे डक्ट कूलर बनाने की तैयारी- कमलेश ने बताया कि उद्यम बहुत आनंद देने वाली चीज है। आगे योजना है कि नागपुर में बनने वाले डक्ट कूलर यहां भी तैयार किये जाए। इसके लिए इन्होंने अपने कर्मियों को नागपुर में भेजकर प्रशिक्षण दिलाया है। साथ ही स्टील की अल्मारी बनाने का कार्य करने की भी उनकी योजना है। उन्होंने बताया कि पिछली बार उद्योग विभाग के अधिकारियों ने इसके लिए बड़ी मदद की थी। इस बार भी उन्होंने मार्केट के बारे में तथा इस उद्यम से जुड़ी हुई तकनीकी बारीकियों के बारे में विस्तार से बताया है। श्री देवांगन ने कहा कि अधिकारियों से मिलने वाले प्रोत्साहन से बड़ी ऊर्जा मिलती है। मुझे इस बात की खुशी है कि मैं अपने उद्यम को आगे बढ़ा रहा हूं और रोजगार सृजन भी कर सका हूं।
Comment here
You must be logged in to post a comment.