जशपुरनगर: प्रदेश सरकार निरंतर गोठा नशें में पशुओं के देख रेख एवं उनके विकास के साथ ही स्व-सहायता समूह को भी आर्थिक रूप से संबल बना रही है। जिसके तहत् जशपुर जिले के समस्त गोठान में किसानों के पशुओं को उच्च स्तरीय चारा उपलब्ध कराने के लिए चारागाह विकसित कर वहां विभिन्न प्रकार के चारे उत्पादित किए जा रहे है। जिले में 146 चारागाह के 242 एकड़ में विकसित किया जा रहा है, जहां स्व-सहायता समूह के द्वारा विभाग के सहयोग से जशपुर जिले के विभिन्न गौठान सहित जशपुर विकासखंड के पुत्रीचैरा, गम्हरिया गौठानश् में नेपियर रूट एवं घोलेंग, सारूडीह, पोरतेंगा, बालाछापर में मक्का बीज की बुवाई की गई है। इसके अलावा ज्वार अजोला सहित अन्य चारे की बुआई भी किया जा रहा है।
जिले के किसानों के लिए गौठान योजना बहुत ही लाभदायक एवं प्रभावशील साबित हो रही है। किसान भी इस योजना से काफी प्रभावित हुए हैं उनका कहना है कि शासन के द्वारा न सिर्फ गौठान में उनके विकास के लिए सोचा गया है बल्कि उनके पशुओं का भी बेहतर देखभाल किया जा रहा है। गौठान में पानी एवं उच्च गुणवत्ता युक्त चारा उनके पशुओं को मिल रहा है। जिससे पशुओं को अनावश्यक बाहर नहीं ले जाना पड़ता है। इससे उन्हें कई फायदे देखने को मिल रहे है। चारागाह विकसित हो जाने से पशुओं को गौठान में ही उपयुक्त आहार मिलने लगेगा। जिससे किसानों को अलग से अपने पशुओं के लिए कहीं और से चारे लाने की आवश्यकता नहीं होगी।
मवेशियों को आहार की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए कई गौठान में पूर्व से ही नेपियर एवं अन्य चारे की व्यवस्था की जा रही है। किसान बताते है कि गौठान में पशुओं को आहार की कमी न हो इसके लिए चारागाह का विकास किया जा रहा है। पहले उन्हें अलग से अपने पशु को चराने के लिए समय निकालना पड़ता था। परंतु अब इस योजना से न पशुओं को चराने की आवश्यकता होती है न ही अब उन्हें पशुओं के आहार की चिंता होगी। गौठान में ही आहार पर्याप्त मात्रा में मिल सकेगा। इसके अलावा किसान ने बताया कि जब भी उनके पशु को किसी प्रकार की बिमारी होती है तो उसका इलाज भी पशु चिकित्सा विभाग के डॉक्टर के माध्यम से निःशुल्क कर दिया जाता है।
पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारी ने बताया कि चारागाह विकास से पशुओं को वर्षभर चारा की उपलब्ता बनाये रखने हेतु पशुधन विकास विभाग, कृषि विज्ञान केन्द्र एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारी-कर्मचारी द्वारा सम्मिलित रूप से विकासखण्ड, ग्राम एवं गौठान स्तरीय प्रशिक्षण देकर किसानों को नेपियर घास के लाभ एवं महत्व के बारे में समझाईश दी जा रही है। जिससे वे अपने बाड़ी अथवा खेत में भी अपने मवेशियों के लिए आसानी से चारे की व्यवस्था कर सके। उन्होंने बताया कि नेपियर घास बहु कटाई वाला हरा चारा है। वर्षभर में इसकी 03 से 04 कटाई हो जाती है। जिससे औसतन 1000 से 1500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हरा चारा की उपज प्राप्त होती है। उन्होंने बताया कि नेपियर घास की पहली कटाई 60 से 70 दिन के बाद तथा उसके बाद फसल के वृद्धि अनुसार आगे 40 से 45 दिन में दूसरी कटाई की जा सकती है। इस व्यवस्था से जिले में आने वाले समय में हरा चारा के उपलब्धता की समस्या से राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि हरा चारा उत्पादन से जुड़े स्व-सहायता समूह को भी भविष्य में हरा चारा एवं बीज के विक्रय से लाभ प्राप्त होगी।
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