छत्तीसगढ़

गोधन न्याय योजना: वर्मी खाद की डिमांड बढ़ी, गौठानों में हाथो-हाथ बिक रही खाद

रायपुर: छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना से जुड़कर महिलायें अब आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ रही हैं। गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा तैयार की जा रही वर्मी कम्पोस्ट खाद की मांग लगातार बढ़ रही है। खाद की बिक्री हाथों-हाथ हो रही है। किसानों के साथ-साथ वन विभाग कृषि और उद्यानिकी विभाग भी अपने उपयोग […]

रायपुर: छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना से जुड़कर महिलायें अब आर्थिक समृद्धि की ओर बढ़ रही हैं। गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा तैयार की जा रही वर्मी कम्पोस्ट खाद की मांग लगातार बढ़ रही है। खाद की बिक्री हाथों-हाथ हो रही है। किसानों के साथ-साथ वन विभाग कृषि और उद्यानिकी विभाग भी अपने उपयोग के लिए वर्मी खाद महिला स्व-सहायता समूहों से खरीद रहे हैं। बिलासपुर जिले के ग्राम जुहली के गौठान में समूहों द्वारा 380 क्विंटल से ज्यादा वर्मी खाद जिसका मूल्य करीब 3 लाख 80 हजार रूपए है का विक्रय स्व-सहायता समूहों द्वारा किया गया है।

जिले के मस्तूरी विकासखण्ड के ग्राम जुहली के गौठान में गोधन न्याय योजना के तहत अब तक 900 किवंटल से अधिक गोबर खरीदी कि गई है। गोठान में दो महिला स्वसहायता समूह वर्मी कम्पोस्ट खाद उत्पादन का कार्य कर रही हैं। जय मां दुर्गा स्वसहायता समूह और जय बूढ़ादेव स्व सहायता समूह को इससे रोजगार मिल रहा है। शुरूआत में महिलाएं खाद बनाकर स्वयं बिक्री करती थी। उन्होंने 154 क्विंटल वर्मी खाद बनाकर उससे अच्छी आमदनी प्राप्त की। शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना के तहत् उन्हें गौठान समिति से गोबर प्राप्त होता है। जिसका वे खाद बनाती है और खाद की बिक्री समिति के माध्यम से हो रही है।

जय मां दुर्गा स्व सहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती इंद्राबाई पोर्ते ने बताया कि गौठान में दोनों समूहों की महिलाओं ने मिलकर एसएचजी शेड का निर्माण भी किया है। यह शेड मनरेगा से स्वीकृत किया गया था। शेड के लिए निर्माण सामग्री लाने से लेकर निर्माण कार्य भी खुद महिलाओं ने ही किया। शेड बनने के बाद उन्हें वर्मी खाद उत्पादन के लिए गौठान में स्थायी जगह उपलब्ध हो गई है। खाद छानने के लिए उन्होंने खुद की राशि लगाकर मशीन भी खरीदी है। खाद निर्माण का प्रशिक्षण क्षेत्र ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से मिला था। महिलाओं ने बताया कि पहले वे अपने दैनिक जरूरत के खर्चाें के लिए आत्मनिर्भर नहीं थी लेकिन अब उनमें आत्मविश्वास आ गया है। गोधन न्याय योजना ने उनकी अन्य लोगों के ऊपर आर्थिक निर्भरता को समाप्त कर दिया है।

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