बस्तर/दंतेवाड़ा: राज्य के बस्तर एवं दंतेवाड़ा जिले में बर्डफ्लू से दो कौआ और एक कबूतर के मरने की पुष्टि राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान भोपाल द्वारा की गई है। छत्तीसगढ़ से 11 जनवरी से 14 जनवरी के मध्य कुल 13 सेम्पल जांच के लिए राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान भोपाल भेजा गया था, जिसमें 6 कबूतर, दो कौआ, एक बगुला सहित अन्य सेम्पल शामिल है। जांच रिपोर्ट में बस्तर जिले से भेजे गए मृत एक कौआ, एक कबूतर में एच 5 एन 8 एवियन इन्फल्यूएंजा वायरस की पुष्टि हुई है। इसी तरह दंतेवाड़ा जिले से भेजा गया एक कौआ का सेम्पल भी पाॅजिटिव पाया गया है।
दंतेवाड़ा के संयुक्त संचालक डाॅ. कुशवाहा ने बताया कि जिले के कूपर गांव में मृत दो मुर्गियों के सेम्पल भी जांच के लिए पुना भेजे गए हैं अभी तक रिर्पोट नहीं मिली है। जिले में कलेक्टर के मार्गदर्शन में संयुक्त टीम का गठन कर स्थिति पर निरंतर निगरानी रखी जा रही है। सर्विलांस टीम द्वारा सभी ईलाकों में निरंतर भ्रमण एवं स्थिति की माॅनिटरिंग जारी है। गौरतलब है कि रायपुर से पांच, महासमुंद से तीन, जगदलपुर से तीन तथा दंतेवाड़ा से दो सेम्पल जांच के लिए भेजे गए थे, जिसमें से दो कौआ और एक कबूतर का सेम्पल पाॅजिटिव मिला है।
पशुधन विकास विभाग द्वारा बर्डफ्लू के प्रवेश को रोकने के संबंध में सभी जिलों के कलेक्टरों एवं पुलिस अधीक्षकों सहित पशु चिकित्सा विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों को सीमावर्ती प्रदेश से पक्षियों के परिवहन पर कड़ी निगरानी रखने के साथ ही सभी शासकीय एवं अशासकीय कुक्कुट पालन प्रक्षेत्रों एवं पोल्ट्री व्यवसायी केन्द्रों का सर्विलेंस करने के निर्देश दिए गए हैं।
कृषि उत्पादन आयुक्त एवं सचिव, कृषि विकास तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग डॉ. एम. गीता ने बताया कि राज्य में बर्डफ्लू रोग के प्रवेश को रोकने के संबंध में जिलों को विस्तृत दिशा- निर्देश जारी किए गए हैं। भारत सरकार की द्वारा जारी दिशा-निर्देश के अनुसार सेम्पल साईज का पालन करते हुए नमूने एकत्रकर राज्य स्तरीय रोग अन्वेषण प्रयोगशाला रायपुर भिजवाने के भी निर्देश दिए गए हैं। बत्तख पालन वाले क्षेत्र एवं जंगली व अप्रवासी पक्षियों के इलाकों में विशेष निगरानी रखने तथा वन विभाग से समन्वय स्थापित कर राष्ट्रीय अभ्यारण्य, पोखर, झील को चिन्हांकित कर उन क्षेत्रों के समीप निगरानी हेतु विशेष निर्देश दिए गए हैं। पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े लोगों को बर्डफ्लू के रोकथाम एवं जैव सुरक्षा के सभी नियमों की जानकारी देने को कहा गया है।
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