बिहार

पर्यावरण से अनूठा प्रेम: विदेशी बैंक की नौकरी छोड़, गांव के इकोसिस्टम को बढ़ावा दे रहा यह युवा

प्रणव पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। बीते कुछ समय पहले तक वो रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड में कार्यरत थे। लेकिन गांव प्रेम ऐसा जागा कि अब गांव में ही सामाजिक कार्यों में अपना जीवन समर्पित कर रहे हैं।

कहते हैं कि पैसा से अधिक प्यार पेशा से होना चाहिए। जिस वस्तु के प्रति आपका मन समर्पित हो काम भी वही करना चाहिए। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है मधुबनी लोकसभा क्षेत्र के मुरैठा गांव निवासी पशुपति नाथ मिश्रा के पुत्र प्रणव मिश्रा ने।

प्रणव पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। बीते कुछ समय पहले तक वो रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड में कार्यरत थे। लेकिन गांव प्रेम ऐसा जागा कि अब गांव में ही सामाजिक कार्यों में अपना जीवन समर्पित कर रहे हैं।

बेतहाशा गर्मी ने किया परेशान तो सूझा आइडिया
प्रणव बताते हैं कि जब वो गर्मी के दिनों में गांव आए तो यहां इन्होंने देखा की गांव का तापमान शहर के तापमान के बराबर है। गांव और शहर दोनों जगह गर्मी की वजह से लोग परेशान हो रहे हैं। ऐसे में उन्होंने एक मजबूत इकोसिस्टम बनाने का फैसला किया। चूंकि वह फिजिक्स के छात्र थे, इसलिए एनवायरमेंट से जुड़ी जानकारियां भी थी। लिहाजा, उन्होंने 1000 पीपल और 1000 नीम के पेड़ लगाने का निर्णय किया।प्रणव ने पेड़ लगाने की कवायद शुरू कर दी है, वो नजदीक के नर्सरी से पेड़ खरीद रहे हैं और अपने गांव में हरियाली ला रहे हैं।

1 लाख पेड़ लगाने का है लक्ष्य
प्रणव आगे बताते हैं कि देशभर में प्रत्येक साल 4 बिलियन से अधिक पेड़ लगाने की जरूरत है। ऐसे में एक हजार पेड़ से कुछ नही होने वाला, मेरा लक्ष्य एक लाख पेड़ लगाने का है। इसलिए मैंने शुरुआती फेज में अपने गांव का चयन किया है,आगे मैं आसपास के इलाकों,गांवों में पेड़ लगाऊंगा। सरकार द्वारा जारी योजनाओं से लाभ के बारे में वो बताते हैं कि सरकार हरियाली लाने के लिए अपनी जगह अच्छा काम कर रही है, लेकिन लोग जागरूक नहीं हैं। भीषण गर्मी से अगर बचना हो तो लोगों का जागरूक होना जरूरी है, वरना वो समय दूर नही जब हमारी हालत भी अफ्रीकन देशों की तरह हो जायेगी।

अंडर 19 क्रिकेटर रह चुके हैं प्रणव
प्रणव कई प्रतिभाओं से संपन्न हैं,वो दिल्ली के तरफ से अंडर 19 क्रिकेट भी खेल चुके हैं। हालांकि क्रिकेट में स्वर्णिम करियर नहीं देखने और पारिवारिक दवाब की वजह से उन्होंने इंजीनियरिंग का रास्ता चुना, लेकिन यहां भी उनका मन नहीं लग रहा था। वो कहते हैं कि अपने जीवन से किसी और को क्या लाभ मिल सके इंसान की सोच ऐसी होनी चाहिए। स्वयं का गुजारा तो ईश्वर के भरोसे भी किया जा सकता है। फिलहाल प्रणव की तारीफ समूचे इलाके में हो रही है। स्वस्थ वातावरण के लिए उठाए गए कदम की सराहना करते हुए लोग उनसे और उम्मीद लगा रहे हैं।