बिहार

“उपर से फीट-फाट, नीचे मोकामा घाट” कथन हुआ चरितार्थ

मोकामा घाट पर स्टीमर और रेलवे कोच मरम्मत कारखाना बंद

मोकामा (पटना): 100वे दशक के पूर्व समय से ही मोकामा घाट (Mokama Ghat) मुख्य व्यवसायिक केन्द्र था। कलकत्ता (पश्चिम बंगाल) के बन्दरगाह भारी संयंत्र और मछली का आयात और मोकामा (पटना) के मण्डी से दलहन – तेलहन और लाल मिर्ची का व्यापार हुआ करता था।

जलपोत (स्टीमर) और रेलवे के डब्बो के क्षति को मरम्मत किया जाता था। पहले मरम्मत कार्य में कोयले की खपत ज्यादा रहने के कारण हजारों टन कोयला यहाँ गिराया जाता था। जहाँ कोयला गिरता था, उस क्षेत्र का नाम कोइलासाइटिग रखा गया। उपर से फीटफाट दिखने वाला जलपोत और रेल का डिब्बे मरम्मत के लिए आता था, तो लोगों ने उपर से फीटफाट, नीचे मोकामा घाट का कथन चरितार्थ किया।

मोकामा घाट में रेलवे का बहुत विशाल यार्ड था, जहाँ ब्रिटिश रेल अधिकारी का आरामगाह भी था, उनके आवास तक खाद्य पदार्थों को रेल से पहुंचाया जाता था, जो अब भी दृष्टिगोचर होगा। आजादी के कुछ साल बाद इस रेल यार्ड को मोकामा घाट (पटना) से गडहरा,बरौनी (बेगूसराय) स्थानांतरित कर दिया गया। इस क्षेत्र में रेलवे बहुत बड़ा भूखण्ड पर मनोरंजन भवन, डाकघर, दुर्गा मन्दिर, मस्जिद, रेलकर्मियों का आवसीय क्षेत्र मौजूद है।

रेल द्वारा एक समझौते के तहत बहुत बड़ा भूखण्ड केन्द्रीय रिर्जव पुलिस बल समूह को पंजीकृत कर दिया गया, जिसमें सीआरपीएफ के जवानों को प्रशिक्षण और अभ्यास कराया जाता हैं। इस क्षेत्र में केन्द्रीय विद्यालय भी है जहाँ हजारों विद्यार्थी अध्ययन करते हैं।

मोकामा घाट के गंगा तट पर सीआरपीएफ द्वारा वन विहार की स्थापना की गई है जो अद्भुत और प्राकृतिक छठा को विखेरती है। कुछ भाग में रेल सुरक्षा बल का प्रशिक्षण केन्द्र है। बाकी अधिकांश इलाकों में स्थानीय लोगों का अवैध कब्जा है।अभी भी बहुत रेल आवास में वर्षों से लोग अवैध कब्जा कर रह रहे हैं। कोइलासाइटिग में सैकड़ों लोग 125 वर्षों से रहे हैं जो अब बासगीत के रूप में परिवर्तित हो चुका है।

मोकामा घाट रेलवे उच्च विद्यालय भी रेल परिसर में ही था, जिसे आगे चलकर बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा अधिकृत किया गया। गौरव की बात यह है कि राष्ट्रकवि, रामधारी सिंह दिनकर ने भी इस विद्यालय से अपना शिक्षा ग्रहण किए थे।